कार्यपालन अभियंता श्रम विधि का अनुपालन सुनिश्चित करवाने की जिम्मेदारी कब पूरी करेंगे ?
जल संसाधन ठेकेदारों के द्वारा श्रमिकों के अधिकारों पर अतिक्रमण किसके संरक्षण में किया जा रहा है ?
श्रम कानून और प्रावधानों की अवमानना करने की मंशा को कौन सी प्रशासकीय व्यवस्था प्रोत्साहित करती है ?
पूरब टाइम्स दुर्ग . पिछले अनेक अंकों में हमने छ.ग. के जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता की ठेकेदारों को बचाने वाले कार्यप्रणाली पर सवाल उठाये थे . हमने जनता के सामने यह भी लाया था कि कैसे इस विभाग के कई उच्चाधिकारी नियमों को ताक पर रखकर काम कर रहे हैं . केवल इतना ही नहीं वे अपने मातहत अधिकारी को संरक्षण देने के लिये अनेक नियमों मे बदलाव भी कर रहे हैं जोकि उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं . इन सबके कारण अब इसी महीने रिटायर होने वाले विभाग के प्रमुख अभियंता के विरुद्ध लोकायुक्त में भी वाद दायर किया गया है . अमूमन उसी तरह की परिस्थिति दुर्ग सर्कल के अधीक्षण अभियंता एस.के पाण्डेय के साथ बन रही है . सूत्रों के अनुसार उनके द्वारा न केवल अपने मातहत ठेकेदारों व अधिकारियों को बचाने के आरोप लग रहे हैं बल्कि विधानसभा में उनके सर्कल के द्वारा जमा की गई जानकारी को भी गलत बताया जा रहा है . अब देखने वाली बात यह होगी कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जिस प्रकार से पिछले दिनों एक कार्यपालन अभियंता के विरुद्ध एफआईआर करवाई गई , उसी तरह की जांच व दंडात्मक कार्यवाही आगे भी की जाती है या नहीं . पूरब टाइम्स की एक रिपोर्ट ..
अधीक्षण अधियंता जल संसाधन विभाग दुर्ग को कटघरे में खड़ा करने वाली परिस्थित कौन सी है ?
बताया जा रहा है कि, कार्यालय अधीक्षण अभियंता, शिवनाथ वृत्त, दुर्ग जल संसाधन विभाग छ.ग. के अंतर्गत निर्माण कार्य के “ठेकेदारों को निविदा शर्तों के अनुरूप” श्रम विधि का अनुपालन करने की बाध्यता है जिसके तहत ठेकदारों को सक्षम अधिकारियों / निरीक्षकों के समक्ष विधिवत वार्षिक विवरणी प्रस्तुत करने की बाध्यता होती है लेकिन अधीक्षण अभियंता के उदासीन कार्य व्यवहार के कारण जल संसाधन निर्माण कार्यों में नियोजित श्रमिको के अधिनियमित श्रमिक अधिकारों पर अतिक्रमण करने की अवैधानिक गतिविधि व प्रशासकीय आपराधिक कार्य व्यवहार कारित करने का व्यथनीय अवसर ठेकेदारों को मिल रहा है | जिस पर समय रहते संज्ञान लिया जाना आवश्यक है ।
श्रमिकों के अधिकारों पर सुनियोजित अतिक्रमण करवाने वाले कार्यपालन अभियंता की जवाबदेही कब तय होगी ?
“श्रम विधि (विवरणी देने और [रजिस्टर रखने के लिए प्रक्रिया का सरलीकरण) अधिनियम 1988” के उपबंध 1 और 2 का अनुपालन करवाने की पदेन जिम्मेदारी कार्यपालन अभियंता की होती है लेकिन कार्यालय अधीक्षण अभियंता, शिवनाथ वृत्त, दुर्ग जल संसाधन विभाग छ.ग. के अंतर्गत कार्यरत कार्यपालन अभियंता जल संसाधन ठेकेदारों से मिली भगत वाली कार्य प्रणाली अपनाकर श्रमिकों का विवरण संधारित करने वाले रजिस्टर सार्वजनिक करने की पदेन जिम्मेदारी पूरी नहीं कर रहे है और इस अनियमितता का मूक दर्शन अधीक्षण अभियंता द्वारा किया जाना विधिक चुनौती दिए जाने की परिस्थिति उत्पन्न कर रहा है ।
जल संसाधन विभाग के ठेकदारों की पंजीकृत स्थिति को प्रश्नांकित करने के लिए श्रम विधि रजिस्टर आधार कैसे बनेगा ?
जल संसाधन ठेकेदारों की पंजीकृत स्थिति तब तक विधिमान्य रहती है जब तक ठेकदार द्वारा नियोजित श्रमिकों का विवरण विधि अनुसार संधारित एवं संरक्षित किया जाता है सरल शब्दों में कहा जाय तो “श्रम विधि (विवरणी देने और [रजिस्टर रखने के लिए प्रक्रिया का सरलीकरण) अधिनियम 1988” में यह स्पष्ट किया गया है कि नियोजित श्रमिकों का विवरण किस रजिस्टर प्रारूप में रखा जायेगा उल्लेखनीय है कि कार्यालय अधीक्षण अभियंता, शिवनाथ वृत्त, दुर्ग जल संसाधन विभाग छ.ग. के अंतर्गत संचालित निर्माण कार्यों के अनुबंधित ठेकेदारों द्वारा श्रमिक विवरणों को प्रावधानित कार्यवाही प्रक्रिया से संधारित किया गया है क्या यह प्रश्नांकित विषय है जिसके लिए अधीक्षण अभियंता शिवनाथ वृत दुर्ग पूरी तरह जिम्मेदार है ।
विधानसभा क्षेत्र दुर्ग ग्रामीण, पाटन, दुर्ग, अहिवारा, साजा और बेमेतरा के अंतर्गत संचालित निर्माण कार्य संबंधित श्रमिक विवरण अधीक्षण अभियंता शिवनाथ वृत्त दुर्ग कार्यालय से मांगे जाने पर कार्यपालन अभियंता प्रतिक्रिया विहिन स्थिति में है जिसका सीधा अर्थ है कि श्रमिकों के अधिकारों पर अतिक्रमण करने का अवसर जल संसाधन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा दिया जा रहा है जिसे विधिक चुनौती दिया जाना अपेक्षित है ।
अमोल मालूसरे,सामाजिक कार्यकर्ता