भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा हिंद महासागर में सक्रिय हाइड्रोथर्मल वेंट की खोज एक ऐतिहासिक और बहुप्रासंगिक उपलब्धि है। आइए इसे तीन मुख्य पहलुओं में समझते हैं:
1. हाइड्रोथर्मल वेंट: क्या हैं और इनका महत्व?
हाइड्रोथर्मल वेंट समुद्र की गहराई में स्थित दरारों से निकलने वाले अत्यधिक गर्म पानी और खनिजों के स्रोत हैं।
- यह पृथ्वी के अंदरूनी भाग (मैग्मा) से गर्म पानी और खनिजों को सतह तक लाने का माध्यम है।
- इनसे निकलने वाले धातु, जैसे तांबा, सोना, चांदी, जिंक, और कोबाल्ट, खनन और आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
- ठंडे पानी से टकराने पर ये खनिज ठोस होकर चिमनी के आकार की संरचनाएं बनाते हैं, जो कई मीटर तक ऊंची हो सकती हैं।
2. हिंद महासागर में खोज का विशेष महत्व
- स्थान की अनूठी प्रकृति: हिंद महासागर में इस गहराई (4.5 किलोमीटर) और क्षेत्र (मध्य व दक्षिण पश्चिमी भाग) में हाइड्रोथर्मल वेंट की खोज असामान्य है।
- नई संभावनाएं: अब तक ऐसे वेंट ज्यादातर प्रशांत महासागर में ही मिलते थे। हिंद महासागर में इनकी मौजूदगी भारत के लिए खनिज संपदा और समुद्री अनुसंधान के क्षेत्र में नई संभावनाओं का द्वार खोलती है।
- वैज्ञानिक महत्व: यह खोज पृथ्वी की भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं और गहरे समुद्र में जीवन के अध्ययन के लिए भी अहम है।
3. जीव विज्ञान और ब्रह्मांडीय अध्ययन से जुड़ाव
- अलग तरह का जीवन: हाइड्रोथर्मल वेंट के आसपास, अत्यधिक गर्म और खनिजों से भरपूर वातावरण में, असामान्य समुद्री जीव पाए जाते हैं। यह जीवन पृथ्वी पर जीवन की विविधता को समझने का नया आयाम जोड़ता है।
- बृहस्पति के यूरोपा चंद्रमा से तुलना: वैज्ञानिकों का मानना है कि यूरोपा की बर्फीली सतह के नीचे इसी तरह के वेंट हो सकते हैं, जो वहां जीवन की संभावना को बल देते हैं।
निष्कर्ष
हाइड्रोथर्मल वेंट की यह खोज न केवल खनिज और आर्थिक दृष्टि से, बल्कि विज्ञान, पर्यावरण और अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भी अत्यंत मूल्यवान है। भारत के लिए यह खोज वैश्विक मंच पर समुद्री अनुसंधान में एक नई पहचान बनाने का अवसर प्रदान करती है।