विजयनगर साम्राज्य भारत के दक्षिण में स्थित एक शक्तिशाली और समृद्ध राज्य था, जिसकी स्थापना 1336 ई. में हरिहर और बुक्का नामक दो भाइयों ने की थी। यह साम्राज्य अपनी संस्कृति, प्रशासन, कला, वास्तुकला, और आर्थिक समृद्धि के लिए प्रसिद्ध था। विजयनगर साम्राज्य का केंद्र वर्तमान कर्नाटक राज्य में तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित हम्पी था।
विजयनगर साम्राज्य का उदय
- स्थापना: हरिहर और बुक्का ने इस साम्राज्य की स्थापना की। वे पहले काकतीय साम्राज्य के मंत्री थे और बाद में उन्होंने विजयनगर को अपना मुख्यालय बनाया।
- मुख्य उद्देश्य: दिल्ली सल्तनत के बढ़ते प्रभाव को रोकने और दक्षिण भारत की एकता बनाए रखना।
प्रशासन
- राजतंत्र: विजयनगर साम्राज्य एक केंद्रीकृत राजतंत्र था। राजा के पास सर्वोच्च शक्ति थी।
- सेना: साम्राज्य की सेना मजबूत थी, जिसमें पैदल सेना, घुड़सवार सेना और हाथी शामिल थे।
- राज्यपाल: साम्राज्य को कई प्रांतों में बांटा गया था, जिनकी देखरेख राज्यपाल करते थे।
संस्कृति और धर्म
- धार्मिक सहिष्णुता: हिंदू धर्म प्रमुख था, लेकिन जैन और इस्लाम धर्मों को भी सहिष्णुता मिली।
- त्योहार: दशहरा और दीपावली जैसे त्योहार बड़े धूमधाम से मनाए जाते थे।
वास्तुकला
- हम्पी में विरुपाक्ष मंदिर, विट्ठल मंदिर, और स्टोन रथ इसके उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
- वास्तुकला में द्रविड़ शैली का प्रभाव दिखता है।
आर्थिक समृद्धि
- व्यापार: विजयनगर साम्राज्य दक्षिण भारत में व्यापार का एक प्रमुख केंद्र था। मसाले, रेशम, घोड़े, और कीमती पत्थरों का व्यापार किया जाता था।
- सिंचाई: कृषि और सिंचाई के लिए उन्नत तकनीकें अपनाई गई थीं।
प्रमुख शासक
- हरिहर और बुक्का: साम्राज्य के संस्थापक।
- कृष्णदेव राय (1509-1529): विजयनगर साम्राज्य का स्वर्ण युग। उन्होंने कला, साहित्य और युद्ध कौशल में उल्लेखनीय योगदान दिया।
- रमण दुर्गा राय: अंतिम शासकों में से एक।
पतन
1565 में तालीकोटा के युद्ध में दक्कन के सुल्तानों के साथ लड़ाई में विजयनगर साम्राज्य की हार हुई, जिसके बाद साम्राज्य धीरे-धीरे समाप्त हो गया।
महत्व
विजयनगर साम्राज्य ने भारतीय उपमहाद्वीप की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को समृद्ध किया। इसकी स्थापत्य कला, धर्म और प्रशासनिक प्रणाली आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।