हड़प्पा सभ्यता की खोज 1921 में भारतीय पुरातत्त्वज्ञ डॉ. दयाराम साहनी ने की थी। उन्होंने हड़प्पा के प्राचीन स्थल की खुदाई की और इसे प्राचीन भारतीय सभ्यता का महत्वपूर्ण हिस्सा माना। यह सभ्यता अब तक की सबसे प्राचीन और उन्नत सभ्यताओं में से एक मानी जाती है, और यह सिंधु घाटी सभ्यता के रूप में भी जानी जाती है।
हड़प्पा सभ्यता के मुख्य तथ्य:
- स्थान: हड़प्पा सभ्यता मुख्य रूप से पाकिस्तान और भारत के सिंध और पंजाब क्षेत्र में फैली हुई थी। प्रमुख स्थल हड़प्पा (अब पाकिस्तान में) और मोहनजोदड़ो (अब पाकिस्तान में) हैं, साथ ही अन्य स्थल जैसे लोथल, धोलावीरा, कालीबंगा, और रंगपुर भी महत्वपूर्ण हैं।
- समय: यह सभ्यता लगभग 3300-1300 ईसा पूर्व के बीच अस्तित्व में थी।
- सामाजिक संरचना: हड़प्पा सभ्यता में उन्नत नगर व्यवस्था थी, जैसे कि सुव्यवस्थित सड़कें, जल निकासी व्यवस्था, और बड़े बर्तन बनाने की तकनीक। यह सभ्यता व्यापार, शिल्प, और कृषि में उन्नत थी।
- लिपि: हड़प्पा सभ्यता में एक अद्वितीय लिपि का प्रयोग किया जाता था, जिसे आज तक पूरी तरह से डिकोड नहीं किया जा सका है।
- धर्म और संस्कृति: हड़प्पा सभ्यता के लोग सिंधु नदी के किनारे बसे हुए थे, और यह नदी उनके जीवन का प्रमुख हिस्सा थी। इसके अलावा, कुछ धार्मिक प्रतीकों का भी पता चला है, जिनमें पशु-चित्र और देवी-देवताओं के प्रतीक शामिल हैं।
खोज के बाद:
डॉ. दयाराम साहनी के बाद, आर.एल. बन्सल और महेन्द्रनाथ कुमाऊं जैसे अन्य पुरातत्त्वज्ञों ने भी हड़प्पा और अन्य संबंधित स्थलों की खुदाई की, जो इस सभ्यता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं। इन खुदाइयों से इस सभ्यता की उन्नत तकनीकी और सांस्कृतिक दृष्टि की स्पष्ट जानकारी मिली।