राजगढ़ जिले के ब्यावरा शहर में अक्षय तृतीया के अवसर पर एक अनोखी और भावनात्मक शादी देखने को मिली. शादी से ठीक पहले दुल्हन की तबीयत बिगड़ जाने के बावजूद, परिवार ने शुभ मुहूर्त को व्यर्थ नहीं जाने दिया और अस्पताल को ही विवाह स्थल में बदल दिया. यह विवाह हर किसी के लिए प्रेरणादायक बन गया. दरअसल, ब्यावरा के परमसिटी कॉलोनी निवासी जगदीश सिंह सिकरवार के भांजे आदित्य सिंह की शादी कुंभराज की रहने वाली नंदनी से तय हुई थी. विवाह 1 मई को अक्षय तृतीया के दिन कुंभराज के पास पुरषोत्तमपुरा गांव में होना था. लेकिन शादी से पांच दिन पहले, 24 अप्रैल को नंदनी की अचानक तबीयत बिगड़ गई. उन्हें ब्यावरा के पंजाबी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें ज्यादा आराम करने की सलाह दी. ऐसे में परिवार दोराहे पर खड़ा था.
एक ओर दुल्हन की तबीयत और दूसरी ओर शुभ मुहूर्त. डॉक्टर जेके पंजाबी ने बताया कि नंदनी ज्यादा देर तक बैठ नहीं सकती थी, इसलिए परिवार ने उससे सलाह लेकर अस्पताल में ही शादी करने का निर्णय लिया. इस निर्णय में दोनों परिवारों की सहमति और भावनात्मक जुड़ाव देखने को मिला. शादी वाले दिन दूल्हा आदित्य सिंह बैंड-बाजे और बारात के साथ सीधे पंजाबी नर्सिंग होम पहुंचा. अस्पताल में ही मंडप सजा, रस्में पूरी हुईं और सबसे खास पल तब आया जब दूल्हे ने दुल्हन को गोद में उठाकर सात फेरे लिए. यह दृश्य वहां मौजूद सभी लोगों की आंखों को नम कर गया. इस अनोखी शादी ने यह संदेश दिया कि प्यार, समझदारी और साथ निभाने की भावना किसी भी रस्म से ऊपर होती है. साथ ही, यह उदाहरण बना कि परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, सच्चे रिश्ते अपने मार्ग खुद बना लेते हैं.