स्पेस की दुनिया हमेशा से रहस्यों से भरी रही है, लेकिन हाल ही में एक नई रिसर्च ने ऐसा खुलासा किया है जो चौंकाने वाला है। लंबे समय तक स्पेस में रहने वाले अंतरिक्षयात्रियों की आंखों पर इसका गंभीर असर पड़ रहा है। यूनिवर्सिटी डि मोन्ट्रियाल की रिसर्च के मुताबिक, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में छह महीने गुजारने के बाद एस्ट्रोनॉट्स की आंखें उल्लेखनीय रूप से कमजोर हो जाती हैं।
स्पेस में रहने से आंखों पर क्यों पड़ता है असर?
रिसर्च के अनुसार, भारहीनता के कारण शरीर में खून का बहाव प्रभावित होता है। सिर में खून की मात्रा बढ़ने से आंख की नसों में दबाव बढ़ जाता है, जिससे न्यूरो ऑक्यूलर सिंड्रोम (SANS) नामक स्थिति उत्पन्न होती है। इस स्थिति से 70% एस्ट्रोनॉट्स प्रभावित होते हैं।
ISS पर फंसे अंतरिक्षयात्री भी प्रभावित?
बीते साल नासा ने भारतीय मूल की अंतरिक्षयात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी वुच विल्मोर को स्पेस में भेजा था। लेकिन तकनीकी खराबी के कारण वे ISS पर ही फंसे हैं। इस दौरान सामने आई तस्वीरों में दोनों अंतरिक्षयात्रियों को कमजोर हालत में देखा गया है, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या उनकी आंखों पर भी बुरा असर पड़ा है?
मंगल मिशन के लिए नया खतरा?
शोधकर्ताओं का मानना है कि यदि एस्ट्रोनॉट्स की आंखों पर इतना बुरा असर पड़ रहा है, तो भविष्य में मंगल ग्रह पर जाने वाले अंतरिक्षयात्रियों को और भी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। लंबे अंतरिक्ष अभियानों के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन सकती है।
वैज्ञानिकों के सामने नई चुनौती
अब वैज्ञानिक इस समस्या के समाधान की तलाश में जुटे हैं, ताकि भविष्य में अंतरिक्षयात्रियों को किसी तरह की आंखों की समस्या न हो। क्या इसका कोई स्थायी हल निकलेगा? या फिर अंतरिक्ष यात्राएं इंसान की सेहत के लिए खतरनाक साबित होंगी? इसका जवाब तो आने वाला समय ही देगा!