इंडियन मिलिट्री एकेडमी (IMA), देहरादून में शनिवार को पासिंग आउट परेड (POP) का आयोजन हुआ। इस अवसर पर नए अधिकारी भारतीय सेना में शामिल हुए जिसमें मदुरै के छोटे से गांव मेलुर से आने वाले कबीलन ने भारतीय सेना में अफसर बनने के अपने सपने को पूरा किया है। उनके जैसे युवाओं की मेहनत और संघर्ष न केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता की कहानी है, बल्कि यह भारतीय सेना में नए अधिकारियों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन जाती है। इस तरह की घटनाएं हमें यह दिखाती हैं कि अगर इच्छा मजबूत हो और संघर्ष सच्चा हो, तो किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है।
लेफ्टिनेंट कबीलन वी की कहानी वास्तव में प्रेरणादायक है। एक छोटे से गांव के गरीब परिवार से आने वाले कबीलन ने भारतीय सेना में अफसर बनने तक का सफर कई संघर्षों और कठिनाइयों से पूरा किया। उनके पिता वेट्रिसेल्वम, जो दिहाड़ी मजदूरी करते थे और प्रतिदिन केवल 100 रुपये कमाते थे, ने कभी अपने बेटे को सपनों को पूरा करने से नहीं रोका। हालांकि परिवार की परिस्थितियाँ कठिन थीं, कबीलन ने कभी हार नहीं मानी और अपनी मेहनत और समर्पण से इस मुकाम तक पहुंचे।
उनके लिए यह सफर आसान नहीं था, कई बार असफल होने के बावजूद उन्होंने अपनी मेहनत जारी रखी। उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया और एनसीसी के जरिए सेना में भर्ती होने के अपने सपने को पूरा करने के लिए संघर्ष किया। तीन महीने पहले उनके पिता को स्ट्रोक आया और वह व्हीलचेयर पर आ गए, लेकिन इस कठिन परिस्थिति में भी वह अपने बेटे की सफलता का जश्न मनाने के लिए पासिंग आउट परेड में शामिल हुए। कबीलन की यह सफलता न केवल उनके लिए, बल्कि उन सभी के लिए प्रेरणा है जो कम संसाधनों के बावजूद अपने सपनों को हासिल करना चाहते हैं।