EV बैटरी: इलेक्ट्रिक वाहनों को पेट्रोल-डीजल जैसे पारंपरिक इंजनों से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण से बचने के लिए माना जाता है। लेकिन इन वाहनों की रेंज उनकी सबसे बड़ी समस्या है।
ऐसे वाहनों को बड़े पैमाने पर काम नहीं करने दे रही एक बार चार्जिंग पर सीमित रेंज। लेकिन जल्दी ही इलेक्ट्रिक वाहनों की यह सबसे बड़ी समस्या हल हो सकती है। एक नई बैटरी को सिर्फ एक बार चार्ज करने से कार लाखों किलोमीटर चल सकती है, जैसा कि एक नवीनतम अध्ययन ने बताया है। आइए इस रिवॉल्यूशनरी टेक्नोलॉजी के बारे में जानें जो इलेक्ट्रिक वाहनों की छवि बदल सकती है।
दक्षिण कोरिया की पोहांग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने यह अध्ययन किया है। नई लिथियम बैटरीज की क्षमता 10 लाख किलोमीटर तक हो सकती है। यह बैटरी नए हाई टेंपरेचर एकल क्रिस्टल्स का इस्तेमाल करेगी। रिसर्चर्स का कहना है कि पारंपरिक इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी इलेक्ट्रिक एनर्जी को केमिकल एनर्जी में बदलकर इलेक्ट्रिक एनर्जी में बदलकर बिजली बनाती हैं। ये बैटरी अक्सर निकलने वाले कैथोड पदार्थ से बनाई जाती हैं। इनकी लाइफ कम हो सकती है। अगर वे चार्च करते हैं।
ऐसी हो सकती है नई बैटरी
रिसर्च करने वाली टीम में शामिल प्रोफेसर क्यू-यंग पार्क, पीएचडी कैंडिडेट यून ली और यूरा किम के अनुसार इस स्थिति को बदलने के लिए एक तरीके को अमली जामा पहनाया जा सकता है। इसके लिए सिंगल क्रिस्टल फॉर्म बनाना होगा जिससे बैटरी का स्ट्रक्चर मजबूत होगा और वह ज्यादा स्टेबल-ड्यूरेबल होगी। इसकी टेस्टिंग के दौरान क्रिस्टल्स और डेंस हो गए जो डिग्रेडेशन नहीं होने दे रहे थे। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी का लाइफ स्पैन काफी बेहतर हो सकता है। प्रो. क्यू यंग ने कहा कि हमने निकल बेस्ड कैथोड मैटीरियल्स की ड्यूरेबिलिटी को मजबूत करने के लिए नई सिंथेसिस स्ट्रैटेजी पेश की है। हम अभी इस पर और काम कर रहे हैं।
अभी आती हैं ऐसी दिक्कतें
यंग ने आगे कहा कि हम इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सस्ती, तेज और लंबे समय तक चलने वाली सेकंडरी बैटरी बनाने के लिए अपनी रिसर्च जारी रखेंगे। बता दें कि इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यही है कि एक बार चार्ज करके आप इसे एक लिमिटेड दूरी के लिए ही चला सकते हैं। चार्जिंग स्टेशंस की कमी भी इस समस्या को गंभीर बनाती है। मान लीजिए अगर किसी व्यक्ति को सिर्फ 500 किलोमीटर की यात्रा करनी है तो भी वह इलेक्ट्रिक कार से नहीं जा सकता। अगर रिसर्चर्स की यह बात सही साबित होती है और इस तरह की बैटरी सामने आ जाती है तो यह बड़ी समस्या दूर हो सकती है और ईवी का बाजार काफी मजबूत हो सकता है।