बार-बार पेशाब आने की समस्या (बहुमूत्रता) के कई कारण हो सकते हैं, जैसे मूत्र मार्ग में संक्रमण , डायबिटीज, किडनी की समस्याएँ, प्रोस्टेट का बढ़ना (पुरुषों में), तनाव, या अधिक तरल पदार्थों का सेवन। आयुर्वेदिक उपचार में इसके मूल कारण को समझने और उसे ठीक करने पर जोर दिया जाता है।
यहाँ कुछ सामान्य आयुर्वेदिक उपाय और घरेलू नुस्खे दिए गए हैं, लेकिन किसी भी गंभीर स्थिति में चिकित्सक से परामर्श लेना महत्वपूर्ण है:
प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियाँ और जड़ी-बूटियाँ:
गोखरू और पुनर्नवा : ये दोनों जड़ी-बूटियाँ मूत्र संबंधी समस्याओं को दूर करने में बहुत प्रभावी मानी जाती हैं। ये मूत्र प्रणाली को मजबूत करती हैं और संक्रमण से बचाती हैं।
शतावरी और अश्वगंधा : ये जड़ी-बूटियाँ शरीर में संतुलन बनाए रखने और मानसिक तनाव के कारण होने वाली बार-बार पेशाब आने की समस्या को कम करने में मदद करती हैं। शतावरी में मूत्रवर्धक गुण भी होते हैं जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक होते हैं।
चंद्रप्रभा वटी : यह एक आयुर्वेदिक औषधि है जो मूत्र संबंधी विकारों और प्रोस्टेट की समस्याओं में लाभकारी होती है।
हल्दी का दूध: हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो ब्लैडर की सेहत के लिए अच्छे होते हैं।
मेथी दाना: मेथी के बीज में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो ब्लैडर के स्वास्थ्य को दुरुस्त करते हैं। 1 चम्मच मेथी पाउडर को दही में मिलाकर रोजाना खाने से फायदा मिल सकता है।
घरेलू उपाय:
तुलसी: तुलसी में एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं जो मूत्र मार्ग के संक्रमण (UTI) के इलाज में मददगार होते हैं, जो अक्सर बार-बार पेशाब आने का कारण बनता है। तुलसी के कुछ पत्तों को पीसकर थोड़ी मात्रा में शहद के साथ सुबह खाली पेट लेने से लाभ हो सकता है।
जीरा: जीरा जीवाणु संक्रमण के खिलाफ प्रभावी होता है। जीरे को पानी में उबालकर पीने से बार-बार पेशाब आने की समस्या से राहत मिल सकती है। आप धनिया और जीरे का पानी उबालकर खाली पेट भी पी सकते हैं।
आंवला और शहद: आंवला ब्लैडर को साफ करने और मांसपेशियों को पोषण देने में मदद करता है। आंवले के रस को शहद के साथ मिलाकर दिन में 2-3 बार केले के साथ सेवन किया जा सकता है।
तिल और गुड़: तिल में आवश्यक खनिज होते हैं जो मूत्राशय पर नियंत्रण रखने में मदद करते हैं। बहुमूत्रता की समस्या के लिए तिल को गुड़ के साथ मिलाकर दिन में 2-3 बार सेवन करें।
अनार के छिलके का पाउडर: अनार के छिलके को सुखाकर उसका पाउडर बनाने से ब्लैडर की टोन बढ़ती है और बार-बार पेशाब आने की दिक्कत नियंत्रित होती है।
दही: दही का सेवन भी लाभकारी होता है, खासकर जब बार-बार पेशाब आने का कारण यूटीआई हो।
बेकिंग सोडा: आधा चम्मच बेकिंग सोडा एक गिलास पानी में मिलाकर दिन में एक बार पीने से भी कुछ लोगों को फायदा हो सकता है।
सामान्य सलाह और सावधानियां:
तरल पदार्थों का सेवन: पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, लेकिन शाम को सोने से पहले अत्यधिक तरल पदार्थ का सेवन करने से बचें।
आहार में बदलाव: कैफीन, मसालेदार भोजन, शराब और कृत्रिम मिठास से बचें, क्योंकि ये ब्लैडर को उत्तेजित कर सकते हैं। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें।
स्वच्छता: महिलाओं में यूटीआई से बचने के लिए साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
मूत्राशय प्रशिक्षण : धीरे-धीरे पेशाब के बीच के समय को बढ़ाने का प्रयास करें।
शारीरिक गतिविधि: कब्ज से बचें, क्योंकि यह मूत्राशय पर दबाव डाल सकता है।
डॉक्टरी सलाह: यदि समस्या गंभीर है या घरेलू उपायों से ठीक नहीं हो रही है, तो किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक या डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें। वे आपकी स्थिति का सही निदान करके उचित उपचार सुझा सकते हैं।