चंडीगढ़: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चंद्रयान-3 मिशन ने एक महत्वपूर्ण खोज की है। प्रज्ञान रोवर द्वारा प्राप्त डेटा के विश्लेषण से एक प्राचीन क्रेटर की पहचान हुई है, जिसका व्यास 160 किलोमीटर है। यह क्रेटर संभवतः साउथ पोल-ऐटकेन (SPA) बेसिन के निर्माण से पहले का है, जो चंद्रमा की सतह पर सबसे बड़ा और सबसे पुराना प्रभाव बेसिन माना जाता है।
यह खोज विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर द्वारा भेजे गए डेटा के विश्लेषण पर आधारित है। दोनों उपकरण 3 सितंबर 2023 को सफलतापूर्वक अपने मिशन को पूरा करने के बाद “स्लीप मोड” में चले गए थे।
अहमदाबाद के प्रज्ञा रिसर्च लेबोरेटरी (PRL) के वैज्ञानिकों द्वारा प्रकाशित एक पेपर में बताया गया है कि चंद्रयान-3 का लैंडिंग स्थल एक पुरानी प्रभाव क्रेटर के भीतर स्थित है, जो SPA बेसिन से काफी पुराना है। यह बेसिन साउथ पोल-ऐटकेन बेसिन के किनारे से लगभग 350 किलोमीटर दूर है।
ISRO ने प्रज्ञान रोवर की नवकैम और उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरे का उपयोग करके “सेमी-सर्कुलर, भारी रूप से बिगड़ा हुआ संरचना” की तस्वीरें कैद की हैं, जो लैंडिंग स्थल के चारों ओर है। इसे अब चंद्रमा पर सबसे पुराने संरचनाओं में से एक माना जा रहा है, जिसे SPA बेसिन और उसके चारों ओर के 11 अन्य बेसिन से निकलने वाले मलबे से ढक दिया गया था।
चंद्रयान-3 मिशन से प्राप्त निष्कर्ष वैज्ञानिकों को चंद्रमा को बेहतर तरीके से समझने में मदद कर रहे हैं। ये जानकारी आगामी चंद्रमा मिशनों, जिसमें 2027 के लिए योजना बनाई गई चंद्रयान-4 भी शामिल है, में सहायक हो सकती है।