मैं अंधविश्वास पर विश्वास बंद करना चाहता हूं
मुझे ऐसा लगता है कि अपने अंधविश्वास पर आजकल मेरा बेहद ज्यादा विश्वास हो चला है। वैसे मैं बाहर से अपने आपको अंधश्रद्धा निर्मूलन का हिमायती दिखाता हूं। लेकिन आज भी मेरे रास्ते को बिल्ली काट दे तो दो बार मन में राम-राम कहकर ही आगे बढ़ता हूँ ताकि जगत प्रभु राम मेरी आशंकित आपदा को अपने ऊपर ले ले। चौरास्ते के बीच पड़े नींबू के ऊपर से खुद या अपनी गाड़ी के पहिये का निकलना अवाइड करता हूं। जब अपना घर बनाया था तो शुरूआत में छत की पैरापेट पर काला मटका रखा था। बार-बार नुकसान होने पर घर पर वास्तु शास्त्री बुलाकर समाधान करवाया था। नये ऑफिस में नींबू मिर्ची लगाया था। अपनी पत्नी के कहने पर रत्न भी धारण किया । यूं तो मैं इंजीनियर हूं बुद्धिजीवी भी कहलाता हूं, लोगों को यह दिखाता हूं और अंदर से कहीं यह भी मानता हूँ कि टोटका मानना एकदम फिजूल बात है। परन्तु जब किसी लाभ पाने या हानि से बचने के लिए किसी स्वजन द्वारा किसी टोटके की जिद की जाती है तो उसे आजमाने से गुरेज नहीं करता । बचपन में जब एक ही माह में मुझे दो बार चोट लग जाती थी तो राजनांदगांव में मेरी मां मुझे तुरन्त, शिव कुमार शास्त्री जी के पास ले जाती थी । वे समाधान में कोई पूजा या कोई टोटका बताते थे। बचपन से आज तक कितने ही टोटके देख चुका हूं और आजमा चुका हूं। अब मैं उन पर विश्वास नहीं करना चाहता, उनसे छुटकारा पाना चाहता हूं । मैंने पत्रकार माधो के सामने गिड़गिड़ाते हुए मदद मांगी। पत्रकार माधो मुझे समझाइश देते हुए बोले, यह टोटकों पर विश्वास करना तुम्हारा दोष नहीं है। तुम टोटका- प्रोन क्षेत्र छत्तीसगढ़ में पैदा हुए हो। तुम जानते हो क्या, कि देश के सबसे बड़े उद्योग पति अंबानी और सर्वकालिक महान खिलाड़ी तेंदुलकर भी टोटके को मानते थे । फिर तुम तो साधारण आदमी हो। मैं तुमको एक ऐसा उपाय बताता हूं, जिसके बाद तुम सभी टोटके मानना बंद कर सकते हो । तुम मुझे अतिप्रिय हो इसलिए तुम्हें यह दे रहा हूं, यह पीर बाबा की दरगाह की तावीज है। इसे बांध लो, इसके बाद तुम्हें किसी टोटके की जरूरत नहीं रहेगी। मैं हैरान हूँ कि इस नये टोटके को आजमाऊं या नहीं ? आप मेरी मदद करिए ।
इंजी. मधुर चितलांग्या ,
प्रधान संपादक , दैनिक पूरब टाइम्स