आजकल यूपी के मुख्यमंत्री योगी जी के नारे “बंटेंगे तो कटेंगे ” की हर एक भाजपाई बुद्धिजीवी व्याख्या करने लगा है . पूरी दुनिया को मालूम है कि योगी जी ने हिंदुओं को आव्हान कर, ये नारा दिया है . इस नारे का आशय हिंदुओं को यह बताना दिखता है कि यदि आप बंट गये तो दूसरी कौम वाले आपको काट डालेंगे . वैसे भी हमारा देश इस वक़्त धार्मिक उन्माद के चरम पर है . जिसका सद्उपयोग एक बड़ी पार्टी के नेता बड़ी होशियारी से वोट पाने के लिये कर लेते हैं .
पर परम बुद्धिमान फड़नवीस व परम विदुषी कंगना ने इसकी व्याख्या कर यह साबित कर दिया है कि हम जैसी आम जनता मूर्ख है क्योंकि जब जब आप अपनी अवश्यकतानुसार किसी भी बात की व्याख्या करते है , उसे अक्षरशः सत्य मानना हमारी मजबूरी है . फड़नवीस का कहना है कि यदि महाराष्ट्र चुनाव में उनकी महायुति मिलकर चुनाव नहीं लड़ी यानी बंट गई तो कट जायेगी . इधर कंगना का कहना है कि हमें बचपन में ही सिखाया गया है कि एकता में ही शक्ति होती है , यही सनातन धर्म का भी सूत्र है . हमारी पार्टी पीओके को साथ लेना चाहती है जबकि विपक्ष काटना .
जब हम जैसी आम जनता अच्छे से समझने लगी है कि 15 -15 लाख खाते में आने की बात एक चुनावी बयान था . यह भी कि पिछले 10 सालों में अच्छे से मालूम हो गया है कि पिछली सरकारें बनाने वाली, विपक्षी पार्टी के शासन काल में कोई भी अच्छा काम नहीं हुआ था . हम जैसी आम जनता यह भी समझ गई है कि आपके द्वारा पिछले 10 सालों के कामों का हिसाब लेकर चुनाव में जाने की जगह धार्मिक ध्रुवीकरण के साथ चुनाव में जाना, आपकी जीत का बेहद सुरक्षित रास्ता है . तो हमें दूसरी या तीसरी कहानी बता कर कंफ्यूज़ मत करिये , फड़नवीस और कंगना . हम तो अच्छे दिन और विकास का सच्चाई से इंतज़ार करने वाले , इस पार्टी के भक्त और विपक्षी पार्टी के अनेक बयानों का मज़ाक़ उड़ाने वाले लोग हैं .
इंजी. मधुर चितलांग्या, संपादक
दैनिक पूरब टाइम्स