इस दुनिया से जाने के बाद आप अपनी संपत्ति को किसे देना चाहते हैं और संपत्ति का कितना हिस्सा देना चाहते हैं ? इसके लिए जिंदा रहते हुए कानूनी दस्तावेज तैयार कराना होता है जो वसीयतनामा कहलाता है।
वसीयत क्या होती है ?
यह एक कानूनी दस्तावेज होता है जिसमें किसी एक या उससे अधिक व्यक्तियों का नाम लिखा होता है।
जिसके नाम वसीयत है वह वसीयत कराने वाले व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी प्रापटी और व्यवसाय का उत्तराधिकारी हो जाता है। जिस व्यक्ति ने वसीयतनामा कराया है वह जीवन में कभी भी इसे निरस्त करवा सकता है या बदलकर दूसरे के नाम भी कर सकता है।
वसीयत क्यों कराना चाहिये ?
वसीयत तैयार करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दस्तावेज हमेशा व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके द्वारा छोड़ी गई सम्पत्ति का एक सबूत होता है। वसीयत व्यक्ति की संतानों में झगड़ा होने से बचाती है। अगर एक व्यक्ति अपने धन को अपनी संतान के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को देना चाहता है तब वसीयत का महत्व और बढ़ जाता है।
वसीयत के लिये क्या आवश्यक होता है ?
वसीयत में यह आवश्यक है कि लिखित वसीयत पर वसीयत करने वाले ने कम से कम दो गवाहों के समक्ष अपने हस्ताक्षर किए हों और फिर वे दो व्यक्ति उस वसीयत पर अपने भी हस्ताक्षर करें।
जिसके पक्ष में वसीयत की जा रही है वह वसीयत का गवाह नहीं हो सकता।
वसीयत कितने तरह की होती हैं ?
वसीयत तीन तरह की हो सकती है। एक वह जिस पर वसीयत करने वाले तथा दो गवाहों के हस्ताक्षर हों। दूसरी वह जिस पर वसीयत करने वाले वाले और गवाहों ने नोटेरी पब्लिक के सामने हस्ताक्षर किए हों और नोटेरी ने उसे अपने रजिस्टर में चढ़ा कर तस्दीक किया हो। तीसरी वह जिस पर उप रजिस्ट्रार के समक्ष वसीयत करने वाले वाले और गवाहों ने हस्ताक्षर किए हों। ऐसी वसीयत को रजिस्टर्ड या पंजीकृत वसीयत कहते हैं।
वसीयत का पंजीकरण कैसे होता है ?
वसीयत को एक सादे कागज पर तैयार किया जा सकता है।लेकिन इसकी वास्तविकता पर संदेहों से बचने के लिए इसे रजिस्ट्रड भी करवा सकते हैं। अगर एक व्यक्ति अपनी वसीयत को रजिस्ट्रर्ड करवाना चाहता है तो उसे गवाहों के साथ सब-रजिस्ट्रार के कार्यालय जाना होगा। विभिन्न जिलों के लिए सब-रजिस्ट्रार होते हैं जो वसीयत को रजिस्टर्ड करने में मदद करते हैं। कानूनी प्रमाण रजिस्टर्ड करवाने के बाद वसीयत एक शक्तिशाली कानूनी प्रमाण बन जाता है।
वसीयत पर विवाद होने की स्थिति में
वसीयत पर कोई विवाद होने पर दो वसीयतों की स्थिति में उस व्यक्ति को साबित करना होता है जिसके पक्ष में वसीयत की गयी है। लेकिन रजिस्टर्ड वसीयत को उन व्यक्तियों को साबित करना होता है जो वसीयत को चुनौती देते हैं। व्यक्ति अपनी इच्छा से जितनी बार चाहे वसीयत बदल सकता है, लेकिन उसकी मृत्यु से पहले तैयार की गई उसकी अंतिम वसीयत लागू होती है।
विशेषाधिकार युक्त व विशेषाधिकार रहित वसीयत क्या हैं
आमतौर पर लोगों को इस प्रकार की वसीयत के प्रकार से जुड़ी कम ही जानकारी होती है। पहली
विशेषाधिकार युक्त और दूसरी बिना विशेषाधिकार युक्त वसीयत।
विशेषाधिकार युक्त वसीयत कौन कराता है ?
एक विशेषाधिकार युक्त वसीयत एक अनौपचारिक वसीयत होती है जिसे सिपाहियों, वायु सैनिकों और नौ-सैनिकों द्वारा बनाया जाता है जो साहसिक यात्राओं या युद्ध में गए हुए होते हैं।
विशेषाधिकार रहित वसीयत कौन कराता है?
अन्य सभी वसीयतों को विशेषाधिकार रहित वसीयत कहा जाता है। विशेषाधिकार सहित वसीयतों को
लिखित में या मौखिक घोषणा के रूप में और अपनी जान को जोखिम डालने जा रहे लोगों द्वारा एक अल्प समय के नोटिस द्वारा तैयार करवाया जा सकता है, जबकि विशेषाधिकार रहित वसीयत में औपचारिकताओं को पूरा करने की जरूरत होती है।
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