डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसमें किसी व्यक्ति के डिजिटल डेटा, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण या ऑनलाइन गतिविधियों की जांच की जाती है। यह मुख्य रूप से साइबर अपराधों, ऑनलाइन धोखाधड़ी, या अन्य डिजिटल अपराधों से संबंधित होता है। डिजिटल अरेस्ट को एक प्रकार का “डिजिटल छापा” भी कहा जा सकता है, क्योंकि इसमें किसी व्यक्ति की डिजिटल जानकारी और उपकरणों की जांच की जाती है।
यह प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में होती है:
1. आरोप और साक्ष्य
- किसी व्यक्ति पर साइबर अपराध या डिजिटल अपराध का आरोप लगाया जाता है, जैसे कि हैकिंग, धोखाधड़ी, डेटा चोरी, या अवैध सामग्री का वितरण।
- जांच एजेंसी आरोपों के आधार पर साक्ष्य एकत्र करती है, जो डिजिटल उपकरणों (जैसे लैपटॉप, मोबाइल फोन, कंप्यूटर, सर्वर) से प्राप्त किए जाते हैं।
2. ऑनलाइन एक्टिविटी और डेटा की निगरानी
- जांच के दौरान आरोपी के ऑनलाइन व्यवहार और गतिविधियों की निगरानी की जाती है। इसमें उनकी सोशल मीडिया गतिविधियाँ, ईमेल, चैट्स, और अन्य डिजिटल इंटरएक्शन शामिल हो सकते हैं।
- यह जांच सुरक्षा एजेंसियों द्वारा की जाती है और इसके लिए डिजिटल फोरेंसिक तकनीकों का इस्तेमाल होता है।
3. डिजिटल उपकरणों की जब्ती और जांच
- यदि आरोप प्रमाणित होते हैं, तो जांच एजेंसी आरोपी के डिजिटल उपकरणों को जब्त कर सकती है। इनमें मोबाइल फोन, लैपटॉप, कंप्यूटर, या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस शामिल हो सकते हैं।
- इन उपकरणों को फोरेंसिक टीम द्वारा जांचा जाता है, ताकि संबंधित डिजिटल साक्ष्य को एकत्र किया जा सके।
4. कानूनी प्रक्रिया
- डिजिटल अरेस्ट के बाद आरोपी के खिलाफ कोर्ट में मामला दायर किया जाता है।
- जांच एजेंसी को साक्ष्य और अन्य दस्तावेज पेश करने होते हैं, जो अपराध को साबित करने के लिए आवश्यक होते हैं।
5. डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता
- जांच के दौरान आरोपी के डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता का ध्यान रखना आवश्यक होता है।
- संविदानिक और कानूनी अधिकारों का उल्लंघन न हो, इसका ध्यान रखा जाता है, ताकि आरोपी के अधिकारों का सम्मान हो।
6. सजा और दंड
- यदि आरोपी दोषी पाया जाता है, तो उसे सजा दी जाती है, जो अपराध की गंभीरता पर निर्भर करती है। इसमें जेल की सजा, जुर्माना, या अन्य कानूनी दंड शामिल हो सकते हैं।
7. साइबर अपराध कानून
- भारत में आईटी एक्ट (Information Technology Act, 2000) के तहत डिजिटल अपराधों से संबंधित मामलों की जांच और मुकदमा किया जाता है।
- इसके अतिरिक्त, भारतीय दंड संहिता (IPC) और अन्य संबंधित कानूनों का भी पालन किया जाता है।
डिजिटल अरेस्ट की प्रक्रिया का उद्देश्य डिजिटल दुनिया में हो रहे अपराधों को नियंत्रित करना और इंटरनेट के माध्यम से होने वाली धोखाधड़ी, हैकिंग, या अन्य अवैध गतिविधियों पर नकेल कसना है।