न्यू दिल्ली शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की। उनके पिता रामविलास पासवान ने कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए को छोड़कर भाजपा में शामिल होने का निर्णय क्यों लिया था?
चिराग पासवान ने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले उनके पिता ने राहुल गांधी से मिलने की महीनों की कोशिश की। राहुल गांधी ने बातचीत करने का समय नहीं निकाला। यही मुख्य कारण था कि उनके पिता को भाजपा से गठबंधन करना पड़ा।
राहुल को सोनिया गांधी की सलाह
राहुल गांधी के बारे में चिराग पासवान ने भी कुछ कहा। उनका कहना था कि राहुल ने हाल ही में अपने कर्तव्यों को थोड़ा अधिक गंभीरता से देखा है। हालाँकि, चिराग ने अपने हालिया संसदीय भाषण की आलोचना की।
चिराग पासवान ने सोनिया गांधी से कहा कि वे अपने पिता के साथ यूपीए में अपनी पार्टी के भविष्य पर चर्चा कर रहे थे। राहुल गांधी को उस समय सोनिया ने बुलाया था। पिता ने तीन महीने से अधिक समय इंतजार किया, लेकिन राहुल गांधी नहीं मिले।
पिता को मनाना होता मुश्किल
चिराग पासवान ने कहा कि इसके बाद भी उनके पिता यूपीए का हिस्सा बने रहने के इच्छुक थे। इस बारे में राहुल गांधी से चर्चा करना चाहते थे। चिराग पासवान ने आगे कहा कि यह मेरे लिए अच्छा हुआ। अगर राहुल गांधी से मुलाकात हो जाती तो अपने पिता को भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल होने के लिए मनाना मुश्किल होता।
बता दें कि रामविलास पासवान देश के एक बड़े वंचित नेता थे। 2020 में उनका निधन हो गया था। 2014 लोकसभा चुनाव रामविलास पासवान ने भाजपा के साथ गठबंधन में लड़ा था।
2013 तक हम यूपीए में थे और मुझे अच्छी तरह याद है कि मेरे पिता गठबंधन छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे। वह गठबंधन में बने रहना चाहते थे। मेरे लिए उन्हें गठबंधन बदलने के लिए मनाना बेहद मुश्किल था। चिराग पासवान, केंद्रीय मंत्री।