मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने तेलंगाना राज्य में विश्वविद्यालयों के संचालन में केंद्र सरकार के बढ़ते हस्तक्षेप पर चिंता जताई है। उन्होंने रविवार को हैदराबाद में डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय में आयोजित अंबेडकर प्रतिमा अनावरण समारोह के दौरान कहा कि यूजीसी ने राज्यों को विश्वविद्यालयों के दिशा-निर्देशों में बदलाव करने के लिए प्रस्ताव भेजे हैं, जिसके तहत कुलपतियों की नियुक्ति का अधिकार केंद्र सरकार को सौंपने की बात की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने इसे संविधान की भावना के खिलाफ बताते हुए कहा, “केंद्र सरकार यूजीसी के नियमों की आड़ में विश्वविद्यालयों पर हावी होने की कोशिश कर रही है। हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इन प्रस्तावों को वापस लेने का अनुरोध करते हैं।” उन्होंने इस कदम को एक ‘सांस्कृतिक हमला’ करार दिया और कहा कि यह राज्य सरकारों की भूमिका को कमजोर करने की साजिश का हिस्सा है।
आगे पढ़ेरेवंत रेड्डी ने डॉ. अंबेडकर के संविधान में केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकारों को स्पष्ट रूप से अलग किए जाने का हवाला देते हुए कहा कि यह घटनाक्रम इसके विपरीत है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय समाज में समस्याओं को हल करने का एक महत्वपूर्ण मंच हैं और इसे केंद्र के हाथों में जाने से राज्य सरकारों की भूमिका और शिक्षा का स्तर प्रभावित हो सकता है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने केरल, तमिलनाडु, और कर्नाटका के मुख्यमंत्रियों से इस मुद्दे पर चर्चा की है और एपी के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू से भी इस बारे में बात करेंगे। रेवंत रेड्डी ने चेतावनी दी कि यदि केंद्र विश्वविद्यालयों पर हमला करता है तो राज्य सरकार इसका विरोध करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर केंद्र ने विश्वविद्यालयों की नियुक्तियों को अपने हाथ में लिया तो वे सिर्फ कुछ लोगों के प्रचार का मंच बन जाएंगे, जिससे आम जनता को नुकसान होगा।
मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालयों के प्रमुख पदों की नियुक्तियों में केंद्र के हस्तक्षेप को तेलंगाना और अन्य राज्यों की संस्कृति और कल्याण के लिए हानिकारक बताया। उन्होंने इस पर विरोध करने का आह्वान किया और कहा कि बुद्धिजीवियों और छात्रों को केंद्र की इस नीति का विरोध करना चाहिए।
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