प्रवीण नेट्टारू हत्याकांड का मामला कर्नाटक में जुलाई 2022 में हुआ था, जब बेल्लारे में प्रवीण नेट्टारू की हत्या की गई थी। इस हत्या के बाद स्थानीय पुलिस और जांच एजेंसियों ने मामले की जांच शुरू की। जांच के दौरान यह पाया गया कि इस हत्या के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का हाथ था, जिससे मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के पास सौंप दिया गया।
एनआईए की जांच के दौरान यह सामने आया कि इस हत्या को पीएफआई के एजेंडे के तहत अंजाम दिया गया था, जिसमें अतीक अहमद का महत्वपूर्ण रोल था। अतीक अहमद, जो पीएफआई का सदस्य बताया जा रहा है, को 21 जनवरी 2025 को गिरफ्तार किया गया। उसे मुख्य साजिशकर्ता मुस्तफा पैचर को शरण देने और उसकी मदद करने का आरोप है। मुस्तफा, जो हत्या के बाद भाग गया था, को चेन्नई ले जाने में भी अतीक ने मदद की थी।
आगे पढ़ेएनआईए के अनुसार, अतीक और पीएफआई के अन्य नेताओं ने मिलकर नेट्टारू की हत्या की योजना बनाई थी। उनका उद्देश्य लोगों में भय और सांप्रदायिक अशांति पैदा करना था। इसके लिए उन्होंने “पीएफआई सेवा टीम” नामक एक गुप्त टीम का गठन किया था, जो हत्याओं को अंजाम देने के लिए हथियारों और निगरानी का प्रशिक्षण प्राप्त करती थी।
इस मामले में अब तक 21 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जबकि छह अन्य आरोपी फरार हैं और उनकी गिरफ्तारी के लिए एनआईए ने इनाम की घोषणा की है। एनआईए ने मुस्तफा पैचर को अगस्त 2022 में गिरफ्तारी से बचाने में मदद की थी और उसकी यात्रा को चेन्नई तक बढ़ाया था, जिससे यह मामला और भी जटिल हो गया।
इस हत्या और उसके बाद के घटनाक्रम ने राज्य और केंद्र सरकार के लिए आतंकवाद और सांप्रदायिक तनाव से संबंधित गंभीर मुद्दे उठाए हैं।
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