मिड डे मील योजना (Mid Day Meal Scheme) भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य विद्यालयों में बच्चों को पोषण और शिक्षा दोनों प्रदान करना है। इस योजना की शुरुआत 1995 में भारत सरकार द्वारा की गई थी।

1. योजना का उद्देश्य
- पोषण: मिड डे मील योजना का मुख्य उद्देश्य विद्यालय जाने वाले बच्चों को पौष्टिक भोजन प्रदान करना है, ताकि उनकी स्वास्थ्य और विकास में सुधार हो सके।
- शिक्षा: यह योजना बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित करती है। इसके अंतर्गत, स्कूल में भोजन मिलने से अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने में रुचि रखते हैं, जिससे शिक्षा में वृद्धि होती है।
2. योजना का इतिहास
- मिड डे मील योजना की शुरुआत सबसे पहले तमिलनाडु में 1982 में हुई थी, जिसमें प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को मुफ्त भोजन प्रदान किया जाता था। इसके सकारात्मक परिणामों को देखकर इसे राष्ट्रीय स्तर पर अपनाने का निर्णय लिया गया।
- 1995 में, भारत सरकार ने इसे एक राष्ट्रीय योजना के रूप में लागू किया, जिसमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को मिड डे मील प्रदान करने की व्यवस्था की गई।
3. योजना की विशेषताएँ
- लक्षित समूह: योजना का लाभ मुख्य रूप से प्राथमिक विद्यालय (कक्षा 1 से 5) के छात्रों को मिलता है। इसके तहत, 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को पोषण प्रदान किया जाता है।
- भोजन का प्रकार: योजना के अंतर्गत बच्चों को दाल, चावल, सब्जियाँ, अंडा, दूध, और विभिन्न प्रकार के पौष्टिक खाद्य पदार्थ प्रदान किए जाते हैं। इसके माध्यम से सुनिश्चित किया जाता है कि बच्चों को दैनिक आधार पर पर्याप्त प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, और विटामिन मिले।
- स्थानीय सामग्रियों का उपयोग: मिड डे मील योजना में स्थानीय कृषि उत्पादों का उपयोग करने पर जोर दिया जाता है, जिससे स्थानीय किसानों को भी लाभ होता है।
4. योजना का प्रभाव
- पोषण में सुधार: मिड डे मील योजना ने बच्चों के पोषण स्तर में सुधार किया है। इससे कम वजन और कुपोषण की समस्या में कमी आई है।
- स्कूल में उपस्थिति: इस योजना के अंतर्गत, स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति में वृद्धि हुई है। बच्चों को भोजन मिलने से वे नियमित रूप से स्कूल जाने के लिए प्रेरित होते हैं।
- सामाजिक समावेश: योजना ने बच्चों के बीच सामाजिक समावेश को भी बढ़ावा दिया है। यह सभी वर्गों के बच्चों को एक साथ भोजन करने का अवसर प्रदान करता है।
5. चुनौतियाँ
- गुणवत्ता सुनिश्चित करना: योजना के तहत भोजन की गुणवत्ता सुनिश्चित करना एक चुनौती है। कई बार खाने में स्वच्छता और पौष्टिकता का ध्यान नहीं रखा जाता।
- व्यवस्था और वितरण: भोजन का समय पर वितरण और उचित प्रबंधन करना भी एक चुनौती है। कई बार स्कूलों में भोजन का वितरण सही समय पर नहीं होता।
- जागरूकता: योजना के बारे में अभिभावकों और समुदाय में जागरूकता की कमी भी एक महत्वपूर्ण चुनौती है।
निष्कर्ष
मिड डे मील योजना भारतीय शिक्षा और पोषण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसने लाखों बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है। यह योजना बच्चों को शिक्षा की ओर प्रेरित करने के साथ-साथ उन्हें स्वस्थ और पोषित रखने में मदद करती है। हालांकि कुछ चुनौतियाँ हैं, फिर भी इस योजना ने बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।