मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन का इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (Idiopathic Pulmonary Fibrosis – IPF) नामक गंभीर फेफड़ों की बीमारी के चलते निधन हो गया। यह एक दुर्लभ और क्रोनिक रोग है, जिसमें फेफड़ों के टिश्यू मोटे हो जाते हैं, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है। भोपाल के चिकित्सकों ने बताया कि इस बीमारी के कई मरीज स्थानीय स्तर पर भी देखे जा रहे हैं, विशेषकर गैस त्रासदी और प्रदूषण से प्रभावित क्षेत्रों में।
IPF क्या है?
- इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस का कारण स्पष्ट नहीं होता है।
- यह फेफड़ों की नलियों को मोटा और कठोर बना देता है, जिससे ऑक्सीजन रक्त में नहीं पहुंच पाती।
- यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है और शुरुआती लक्षण आमतौर पर नजरअंदाज कर दिए जाते हैं।
लक्षण
- लंबे समय तक सूखी खांसी।
- आराम के दौरान भी सांस फूलना।
- थकावट और कमजोरी।
- रोग की फैमिली हिस्ट्री या फेफड़ों के पुराने रोग।
- धूल, धुएं, या रसायनों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों में अधिक जोखिम।
जांच और उपचार
- CT स्कैन और पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (PFT) से इसकी पहचान की जाती है।
- ऑक्सीजन थेरेपी, नियमित एक्सरसाइज और विशेष दवाओं के जरिए इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
- जल्दी निदान से फेफड़ों के बचाव की संभावना बढ़ जाती है।
भोपाल में बढ़ते मामले
- भोपाल गैस त्रासदी के दौरान छोड़ी गई मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के कारण IPF के मामले ज्यादा देखे जा रहे हैं।
- क्षेत्र में प्रदूषण और धूल से रोग का जोखिम बढ़ा है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना
चिकित्सकों के अनुसार, इस बीमारी का इलाज तभी संभव है जब इसे शुरुआती स्तर पर पहचाना जाए। नियमित स्वास्थ्य जांच और प्रदूषण से बचाव इसके जोखिम को कम कर सकते हैं।
यह खबर न केवल जाकिर हुसैन के योगदान की याद दिलाती है बल्कि जनसामान्य को IPF के प्रति जागरूक करने का भी एक प्रयास है।