भारत को व्यापक और विविध ऊर्जा संबंध विकसित करने होंगे: जयशंकर
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा मजबूत करने के लिए व्यापक और विविध ऊर्जा साझेदारियों को विकसित करना होगा। उन्होंने यह बयान बदलते वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य और बढ़ती ऊर्जा जरूरतों के मद्देनजर दिया।
जयशंकर ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, और इसके ऊर्जा संसाधनों की मांग लगातार बढ़ रही है। ऐसे में देश को पारंपरिक और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के साथ-साथ विभिन्न देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी करनी होगी। उन्होंने कहा कि भारत न केवल तेल और गैस पर निर्भर रह सकता है, बल्कि सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, हाइड्रोजन और परमाणु ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में भी निवेश बढ़ाने की जरूरत है।
ऊर्जा सुरक्षा के लिए बहुपक्षीय सहयोग आवश्यक
जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए भारत को बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देना होगा। वैश्विक अस्थिरता और आपूर्ति शृंखला में आए बदलावों के कारण ऊर्जा संसाधनों का विविधीकरण अब पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए बड़े कदम उठा रही है, जिसमें हरित हाइड्रोजन, सौर ऊर्जा और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी जैसी पहल शामिल हैं। साथ ही, विदेशों से ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए नए समझौते किए जा रहे हैं, जिससे देश की ऊर्जा जरूरतों को संतुलित किया जा सके।
भारत की ऊर्जा नीति और भविष्य की रणनीति
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपनी ऊर्जा नीति को दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ विकसित करना होगा। नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश बढ़ाने, आधुनिक तकनीकों को अपनाने और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने से भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूती मिलेगी।
सरकार पहले ही कई देशों के साथ ऊर्जा समझौते कर चुकी है, और आगे भी नई साझेदारियों की संभावनाओं पर काम किया जा रहा है। आने वाले वर्षों में, भारत का लक्ष्य सस्ती, स्वच्छ और सतत ऊर्जा तक पहुंच को सुनिश्चित करना है, जिससे देश की आर्थिक वृद्धि को बल मिल सके।