महाराष्ट्र में जमकर बरस रहे मेघ लोगों को परेशानी में डाल रहे हैं। रातभर भारी बारिश के कारण जलजमाव से गाड़ी फंस गई। लोगों के घरों में भी पानी घुस गया था। महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में मौसम विभाग ने भारी से अति भारी बारिश का अनुमान लगाया है।
देश की मानसूनी बारिश कुछ राज्यों को बर्बाद कर रही है। भारी बारिश ने महाराष्ट्र को बर्बाद कर दिया है। जनजीवन इससे प्रभावित हो रहा है। साथ ही स्थानीय ट्रेन सेवाओं पर भी असर पड़ा।
भारी बारिश ने मुंबई उपनगरीय क्षेत्र और हार्बर लाइन को जलमग्न कर दिया। स्टेशन छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, कुर्ला-विक्रोली और भांडुप से गुजरने वाली कई ट्रेनों पर इसका असर पड़ा। मुंबई में भी पटरियां जलमग्न हो गईं।
रेलवे विभाग के अनुसार, भारी बारिश के कारण मध्य रेलवे की उपनगरीय सेवाएं प्रभावित हुई हैं। सायन, भांडुप और नाहुर स्टेशनों के बीच ट्रेन सेवाएं प्रभावित हैं। बारिश का पानी पटरियों के ऊपर था इसलिए ट्रेनों को लगभग एक घंटे तक रोका गया, अब पानी थोड़ा कम हुआ है इसलिए ट्रेनें फिर से शुरू हो रही हैं, लेकिन सेवाएं अभी भी प्रभावित हैं।
इन क्षेत्रों में हुआ जलजमाव
मुंबई में भारी बारिश के कारण शहर के कई हिस्सों में जलभराव देखा गया। इसके साथ ही परेल, वर्ली सहित किंग सर्कल क्षेत्र में भी सड़कें जलमग्न हो गई, जिसके चलते लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। कुछ क्षेत्रों में पेड़ गिरने से सड़कें ब्लॉक हो गई, जिससे आवागमन बाधित हुआ।
उत्तराखंड में भी बारिश बनी समस्या
उत्तराखंड में भी भारी बारिश मुसीबत का सबब बनते जा रही है। देहरादून में हुई भारी बारिश के साथ जलजमाव की स्थिति देखने को मिली। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र ने अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत, नैनीताल, पिथौरागढ़, ऊधमसिंह नगर, पौड़ी, चमोली और रुद्रप्रयाग के कुछ क्षेत्रों में अत्यंत भारी बारिश का अनुमान जताया है।
भूस्खलन से मार्ग बंद
उत्तराखंड में बारिश के साथ साथ कुछ स्थानों पर भूस्खलन की घटनाएं भी सामने आई है। इससे बदरीनाथ हाईवे समेत 142 मार्ग बंद हो गए। हालांकि, सरकार ने इसमें से 89 मार्ग पर यातायात बहाल कर दिया, लेकिन 109 मार्ग अब भी ब्लॉक है।
खतरे के निशान से उपर नदियां
राज्य में पिथौरागढ़ के धारचूला में काली नदी खतरे के निशान से 0.90 मीटर ऊपर बह रही है। इसके साथ ही रुद्रप्रयाग में अलकनंदा और मंदाकिनी नदी भी खबतरे के निशान से ऊपर है। चमोली में अलकनंदा पिंडर, धौली गंगा, नंदाकिनी नदी की भी यही स्थिति है।