प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साइप्रस पहुंचे हैं। इस दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार और यूपीआई समेत कई मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। कहा यह भी जा रहा है कि भारतीय प्रधानमंत्री की यह यात्रा तुर्किए की चिंता बढ़ा सकती है। खास बात है कि भारत की तरफ से आतंकवाद के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के समय तुर्किए ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया था।
पिछले दो दशकों से अधिक समय में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की साइप्रस की यह पहली यात्रा है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत और साइप्रस के बीच द्विपक्षीय व्यापार हाल के वर्षों में ‘उतार-चढ़ाव के बीच स्थिर’ रहा है और अप्रैल 2023 से मार्च 2024 के लिए यह 13.696 करोड़ अमेरीकी डॉलर था।
पीएम मोदी की साइप्रस यात्रा को तुर्किए और पाकिस्तान के मजबूत होते रिश्ते के जवाब में उठाए कदम के तौर पर भी देखा जा रहा है। हालांकि, इसे लेकर सरकार ने आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है।
साइप्रस और तुर्की में लंबे समय से संघर्ष जारी है और इसकी शुरुआत 1974 में तुर्की के आक्रमण और द्वीप के बंटवारे से हुई है। साइप्रस के पास यूरोपीय संघ की सदस्यता है। जबकि, तुर्किए सिर्फ TRNC यानी टर्किश रिपब्लिक ऑफ नॉर्दर्न साइप्रस को मान्यता देता है। अब कहा जा रहा है कि साइप्रस जाना और संभावित रूप से बफर जोन की यात्रा करना भारत की तरफ से संदेश है कि वह तुर्किए के विस्तारवाद के खिलाफ साइप्रस के साथ है।