पुलवामा के बाद कठुआ आतंकी हमला
उत्तराखंड। राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विभिन्न ऑपरेशन में देश के दुश्मनों से मुकाबला करते हुए उत्तराखंड के 348 से ज्यादा बहादुर बेटे अपने प्राणों की आहूति दे चुके हैं। यह संख्या उत्तराखंड बनने के बाद की है। इससे पहले के शहादतों को भी जोड़ा जाए तो यह संख्या 1700 तक है।
बीते रोज जम्मू-कश्मीर के कठुआ हमले की घटना राज्य बनने के बाद की पहली घटना है, जब एक साथ राज्य के पांच सैनिक शहीद हुए हैं। पुलवामा आतंकी हमले के दौरान भी उत्तराखंड के चार सैनिक शहीद हुए थे, लेकिन उनकी शहादत अलग-अलग दिन हुई थी।
सैनिक कल्याण विभाग के अनुसार, अलग राज्य बनने से पहले वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध में देश के 525 सैन्य अफसर और सैनिक शहीद हुए थे। इनमें 75 शहीद उत्तराखंड से थे। शहीद परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीद सैनिकों के परिजनों तात्कालिक सहायता के रूप में 10 लाख रुपये आर्थिक सहायता और दो लाख रुपये आवासीय सहायता के रूप में देने का प्रावधान है।