अफगानिस्तान की राजनयिक स्थिति में महत्वपूर्ण बदलाव आया है, जिससे उनकी अंतरराष्ट्रीय स्थिति और मान्यता पर प्रभाव पड़ा है। तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद कई अफगान राजनयिक मिशनों को बंद कर दिया। तालिबान ने उन देशों के साथ अपने राजनयिक संबंध खत्म कर दिए या उन देशों से अपने राजनयिक प्रतिनिधियों को वापस बुला लिया जहां उनके मिशन स्थित थे। इसका मुख्य कारण तालिबान की सरकार को अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली और कई देशों ने तालिबान के साथ राजनयिक संबंध समाप्त कर दिए हैं।
तालिबान ने मंगलवार को कई अफगान राजनयिक मिशनों को अस्वीकार कर दिया और कहा कि वे पूर्व पश्चिमी समर्थित प्रशासन द्वारा जारी किए गए पासपोर्ट, वीजा और अन्य दस्तावेजों को मान्यता नहीं देंगे। यह तालिबान का राजनयिक मिशनों पर नियंत्रण स्थापित करने का नवीनतम प्रयास है। तालिबान विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि लंदन, बर्लिन, बेल्जियम, बॉन, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रिया, फ्रांस, इटली, ग्रीस, पोलैंड, ऑस्ट्रेलिया, स्वीडन, कनाडा और नॉर्वे में स्थित अफगान राजनयिक मिशनों द्वारा जारी किए गए दस्तावेज़ अब मान्य नहीं हैं और मंत्रालय इन दस्तावेजों के लिए कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेगा।