तिरंगा (भारतीय राष्ट्रीय ध्वज) को पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था। उनकी पहल से ही तिरंगे के रूप में हमारे राष्ट्र का ध्वज आकार लिया। आइए इसके बारे में संपूर्ण जानकारी जानें:
तिरंगे का इतिहास:
भारत का राष्ट्रीय ध्वज एक त्रिकोणीय आकार में तीन रंगों से बना है, जो हमारे देश की विविधता और एकता का प्रतीक है। इसका इतिहास बहुत महत्वपूर्ण है और इसका निर्माण भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुआ था।
पिंगली वेंकैया का योगदान:
पिंगली वेंकैया एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने 1921 में तिरंगे का प्रारूप तैयार किया। उन्होंने महात्मा गांधी से मुलाकात की और उन्हें तिरंगे के डिजाइन के बारे में बताया। गांधी जी को यह डिजाइन बहुत पसंद आया, और उन्होंने इसे अपनाने की सिफारिश की।
तिरंगे के रंग और अर्थ:
भारतीय तिरंगे में तीन रंग होते हैं:
- केसरिया रंग: यह सबसे ऊपर होता है और यह साहस और बलिदान का प्रतीक है।
- सफेद रंग: यह बीच में होता है और यह शांति, सत्य और एकता का प्रतीक है। सफेद पट्टी में मध्य में एक नीली अशोक चक्र होता है।
- हरा रंग: यह तिरंगे का निचला हिस्सा होता है और यह समृद्धि और प्रगति का प्रतीक है।
अशोक चक्र:
तिरंगे के सफेद हिस्से में अशोक चक्र (चक्र का एक रूप) स्थित है। यह चक्र 24 तीलियों वाला है और यह समय के निरंतर प्रवाह और जीवन की गति को दर्शाता है।
तिरंगे का अपनाया जाना:
15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिली, और तब से तिरंगा हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में प्रतिष्ठित हुआ।
तिरंगे का सम्मान:
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को भारतीय संविधान द्वारा महत्वपूर्ण माना गया है। इसका सम्मान और उचित प्रयोग हमारे देश की शान और गौरव को दर्शाता है।
निष्कर्ष:
तिरंगा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक महत्वपूर्ण धरोहर है, और इसे पिंगली वेंकैया द्वारा डिजाइन किया गया था। यह न केवल हमारे देश की विविधता को दर्शाता है बल्कि स्वतंत्रता, समानता, और एकता के प्रतीक के रूप में कार्य करता है।