एक नए शोध से पता चला है कि ऊर्ट बादल—सौर मंडल के बाहरी किनारे पर स्थित बर्फीले पिंडों का रहस्यमयी आवरण—दरअसल एक लघु आकाशगंगा की तरह सर्पिल भुजाओं वाला हो सकता है। यह शोध 16 फरवरी को प्रीप्रिंट सर्वर arXiv पर प्रकाशित किया गया है, हालांकि इसकी अभी तक सहकर्मी समीक्षा नहीं हुई है।
क्या है ऊर्ट बादल?
ऊर्ट बादल की शुरुआत 4.6 अरब साल पहले सौर मंडल के विशाल ग्रहों—बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून—के निर्माण के दौरान बचे हुए अवशेषों से हुई थी। इनमें से कुछ अवशेष इतने बड़े हो सकते हैं कि उन्हें बौना ग्रह भी माना जा सकता है।
कैसे बना यह अनोखा आकार?
वैज्ञानिकों के अनुसार, ऊर्ट बादल का यह सर्पिल आकार “गैलेक्टिक ज्वार” के प्रभाव से बन सकता है। गैलेक्टिक ज्वार वे गुरुत्वाकर्षण बल हैं जो आकाशगंगा के केंद्र, सितारों और ब्लैक होल से उत्पन्न होते हैं। ये बल ऊर्ट बादल की वस्तुओं को खींचते हैं, जिससे उनका पुनर्गठन हो सकता है और वे एक सर्पिल संरचना बना सकते हैं।
दूरी का रहस्य
ऊर्ट बादल का आंतरिक किनारा सूर्य से लगभग 2,000 से 5,000 AU की दूरी पर स्थित है, जबकि बाहरी किनारा 10,000 से 100,000 AU तक फैला हुआ हो सकता है। एक AU (खगोलीय इकाई) पृथ्वी और सूर्य के बीच की औसत दूरी होती है, जो लगभग 150 मिलियन किलोमीटर है। इसकी विशालता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि NASA का वॉयजर 1 अंतरिक्ष यान भी इसे पार करने में 300,000 साल लगा सकता है।
सीधे अध्ययन क्यों मुश्किल?
ऊर्ट बादल में मौजूद वस्तुएं इतनी धुंधली और धीमी गति से चलने वाली हैं कि उन्हें सबसे शक्तिशाली दूरबीनों से भी देखना कठिन है। वैज्ञानिकों को इसके अस्तित्व के बारे में मुख्य रूप से लंबी अवधि के धूमकेतुओं से जानकारी मिलती है, जो ऊर्ट बादल से सूर्य की ओर खींचे जाते हैं।
क्या कहता है नया मॉडल?
शोधकर्ताओं ने धूमकेतुओं की कक्षाओं और सौर मंडल के अंदर और बाहर मौजूद गुरुत्वाकर्षण बलों का विश्लेषण कर ऊर्ट बादल की संरचना का एक नया मॉडल विकसित किया है। यह मॉडल बताता है कि ऊर्ट बादल केवल एक गोलाकार खोल नहीं, बल्कि एक सर्पिल डिस्क की तरह हो सकता है।
यह नई खोज हमारे सौर मंडल की सीमाओं को समझने और अंतरिक्ष के रहस्यों को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। हालांकि, ऊर्ट बादल की यह नई परिकल्पना और उसके सर्पिल आकार की पुष्टि के लिए अभी और शोध की जरूरत होगी।
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