नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास बहुत ही समृद्ध और महत्वपूर्ण है, यह भारत के प्राचीन शिक्षा संस्थानों में से एक था। यह विश्वविद्यालय बिहार राज्य के नालंदा जिले में स्थित था और प्राचीन भारतीय शिक्षा, संस्कृति, और बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र था। नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास कुछ इस प्रकार है:
स्थापना और काल
नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 5वीं शताबदी में गुप्त साम्राज्य के शासक कुमारगुप्त I ने की थी। हालांकि, यह विश्वविद्यालय 4वीं से 12वीं शताबदी तक सक्रिय था। यह शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र बन गया था और बौद्ध धर्म, तंत्र विद्या, गणित, खगोलशास्त्र, चिकित्सा, दर्शन, और साहित्य जैसी विभिन्न शाखाओं में शिक्षा दी जाती थी।
आगे पढ़ेशिक्षा और पाठ्यक्रम
नालंदा विश्वविद्यालय में शिक्षा का स्तर बहुत उच्च था। यहाँ भारतीय और विदेशी विद्यार्थियों को शिक्षा दी जाती थी। विश्वविद्यालय में तंत्र-मंत्र, भिक्षु धर्मशास्त्र, और संस्कृत साहित्य की शिक्षा दी जाती थी। यह विश्वविद्यालय ग्रीस, चीन, कोरिया, जापान, तिब्बत और श्रीलंका जैसे देशों के विद्यार्थियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र था। यहाँ के शिक्षक और विद्वान भी अत्यधिक सम्मानित थे।
विश्वविद्यालय की प्रमुख विशेषताएँ
- विभिन्न विषयों में शिक्षा: नालंदा विश्वविद्यालय में दर्शन, गणित, तंत्र विद्या, संस्कृत, खगोलशास्त्र, चिकित्सा, और बौद्ध धर्म जैसे विभिन्न विषयों में शिक्षा दी जाती थी।
- विशाल पुस्तकालय: यहाँ पर विशाल पुस्तकालय था जिसे “धर्मगंज” कहा जाता था, जिसमें हजारों दुर्लभ और प्राचीन ग्रंथ और पुस्तकें थीं।
- विदेशी विद्यार्थी: नालंदा विश्वविद्यालय के छात्र और शिक्षक न केवल भारत से थे, बल्कि पूरे एशिया से आते थे, जिनमें प्रमुख रूप से चीनी यात्री ह्वेन त्सांग (Xuanzang) का उल्लेख किया जाता है। ह्वेन त्सांग ने नालंदा विश्वविद्यालय का दौरा किया और यहाँ की शिक्षा प्रणाली के बारे में विस्तृत विवरण लिखा।
नष्ट होना
12वीं शताबदी में तुर्क आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया। बख्तियार खिलजी ने नालंदा पर हमला किया और विश्वविद्यालय की पुस्तकों और पाठ्यक्रमों को आग के हवाले कर दिया। इस हमले के बाद नालंदा विश्वविद्यालय धीरे-धीरे अपने ऐतिहासिक और शैक्षिक गौरव को खोने लगा।
नालंदा विश्वविद्यालय की पुनः स्थापना
आजकल, नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण किया जा रहा है। 2010 में भारत सरकार ने नालंदा विश्वविद्यालय की पुनर्स्थापना की दिशा में कदम उठाया। इसे “नालंदा विश्वविद्यालय” नाम से पुनः स्थापित किया गया है, जो अब अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के रूप में कार्य कर रहा है और यहाँ पर विभिन्न विषयों में शिक्षा प्रदान की जाती है।
नालंदा विश्वविद्यालय न केवल भारतीय शिक्षा का प्रतीक था, बल्कि यह विश्वभर में शिक्षा और ज्ञान के प्रसार का एक महत्वपूर्ण केंद्र था।
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