धरती पर इंसानों की आबादी 800 मिलियन से ज्यादा है, और इन सभी का शरीर, हाव-भाव और रंग-रूप भी अलग-अलग होता है। हालांकि, इनमें से कुछ इंसान गूंगे, बहरे और अंधे भी होते हैं। सवाल ये है कि क्या जानवरों में भी ये समस्याएं हो सकती हैं? क्या कुछ जानवर जन्म से ही गूंगे और बहरे होते हैं? आइए, इसका उत्तर जानते हैं।
जानवरों का स्वभाव धरती पर असंख्य जानवर रहते हैं, और हर एक का स्वभाव और क्षमता अलग-अलग होती है। कुछ जानवर शाकाहारी होते हैं, जबकि कुछ मांसाहारी होते हैं। कुछ जानवर जन्म से ही गूंगे और बहरे हो सकते हैं, तो कुछ अपनी पूरी क्षमता से सुन और देख सकते हैं। दिलचस्प बात यह है कि कई जानवरों में इंसानों जैसे इमोशन भी होते हैं। अब सवाल ये है कि क्या कुछ जानवर जन्म से गूंगे और बहरे होते हैं? इसका उत्तर है हां।
आगे पढ़ेजानवरों में गूंगा और बहरा होना जानवरों में गूंगे और बहरेपन के कई कारण हो सकते हैं। यह जन्मजात बीमारी, कान में संक्रमण, चोट या बुढ़ापे की वजह से हो सकता है। उदाहरण के लिए, कुत्ते, भेड़ और सुअर जैसे जानवरों में ये समस्याएं देखी जा सकती हैं। कभी-कभी दुर्घटना या संक्रमण के कारण भी जानवरों की सुनने और बोलने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
इन जानवरों का जन्म से गूंगा और बहरा होना कुछ जानवर जन्म से ही गूंगे और बहरे होते हैं। जैसे गिलहरी, जिनकी सुनने की क्षमता जन्म के समय विकसित नहीं होती, लेकिन बाद में उनकी अन्य इंद्रियां विकसित हो जाती हैं। इसी तरह, जगुआर और भेड़ी के शावक भी जन्म के समय गूंगे और बहरे होते हैं। हालांकि, पालतू जानवरों में यह समस्या कभी-कभी ठीक भी हो सकती है, अगर समय रहते इलाज किया जाए।
इंसानों में भी होती है ये समस्या इंसानों में भी जन्म के समय गूंगे, बहरे और अंधे होने की समस्या हो सकती है, जिसे जन्मजात बीमारी कहा जाता है। हालांकि, आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के जरिए इन समस्याओं का इलाज संभव है, जिससे इन बच्चों की सुनने और बोलने की क्षमता वापस आ सकती है। कभी-कभी दुर्घटनाओं या बुढ़ापे के कारण भी इंसानों की ये क्षमताएं कम हो सकती हैं।
इस तरह, जानवरों और इंसानों में गूंगे, बहरे या अंधे होने के कारण अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन यह कोई असामान्य बात नहीं है।
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