हर साल, वैज्ञानिक जानवरों के संचार के नए तरीकों की खोज कर रहे हैं। शोध से पता चलता है कि हाथी कान फड़फड़ाकर और गड़गड़ाहट की आवाज़ निकालकर एक-दूसरे से बात करते हैं, शुक्राणु व्हेल अपनी क्लिकिंग ध्वनियों को संदर्भ के अनुसार बदलती हैं, और नग्न तिल चूहे अपनी कॉलोनी में विशेष “उच्चारण” विकसित करते हैं।
लेकिन क्या कोई जानवर किसी दूसरी प्रजाति की भाषा सीख सकता है?
शोध से पता चला है कि कुछ जानवर अपनी प्रजाति से इतर भी अन्य जानवरों की आवाज़ों और संकेतों को समझ सकते हैं। हालांकि, यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि वे इसे कैसे प्रोसेस करते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि जानवरों के पास मनुष्यों की तरह पूर्ण भाषा प्रणाली नहीं होती, लेकिन वे ध्वनियों और संकेतों को पहचानकर अपने फायदे के लिए उनका उपयोग कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, प्रवासी गीत पक्षी अपने सफर के दौरान अन्य प्रजातियों की ध्वनियों को पहचानकर सुरक्षित यात्रा कर सकते हैं।
यह शोध यह साबित करता है कि जानवरों के बीच संवाद जटिल और विकसित होता रहता है, और भविष्य में हमें और रोमांचक खोजें देखने को मिल सकती हैं।