हमारी मातृभाषा हमारी पहचान और संस्कृति का अहम हिस्सा होती है, लेकिन क्या कोई वास्तव में अपनी मूल भाषा भूल सकता है? विशेषज्ञों का कहना है कि यह संभव है, खासकर तब जब कोई बचपन में ही दूसरी भाषा अपनाने के लिए मजबूर हो जाए।
एक शोध के अनुसार, छोटे बच्चों में “मूल भाषा क्षय” (Language Attrition) की संभावना अधिक होती है। 2003 के एक अध्ययन में पाया गया कि कोरिया में जन्मे और फ्रांस में गोद लिए गए बच्चे बड़े होकर कोरियाई भाषा को उतनी ही मुश्किल से समझते थे जितना कि कोई ऐसा व्यक्ति जिसने कभी यह भाषा सीखी ही नहीं थी।
हालांकि, जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, मातृभाषा को पूरी तरह से भूलने की संभावना कम हो जाती है। प्रोफेसर लॉरा डोमिन्गुएज़ के अनुसार, किशोर या वयस्क लोग अपनी मूल भाषा की संरचना, जैसे व्याकरण और शब्दावली, पूरी तरह से नहीं खोते।
शोध यह भी दर्शाता है कि यौवन (8-14 वर्ष की उम्र) के बाद हमारा दिमाग भाषा क्षरण के प्रति कम संवेदनशील होता है, जिससे मातृभाषा बनी रहती है। यानी, अगर आप बड़े होकर किसी दूसरी भाषा में अधिक समय बिताते हैं, तब भी आपकी मूल भाषा पूरी तरह से विलुप्त नहीं होती!
क्या आपने कभी किसी ऐसी स्थिति का अनुभव किया है जहाँ आपको अपनी मातृभाषा बोलने में कठिनाई हुई हो? हमें कमेंट में बताइए!