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Monday, March 17, 2025
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जानिए देश की पहली महिला जज की प्रेरणादायक कहानी

अन्ना चांडी, एक ऐसा नाम जिसने भारतीय न्यायिक प्रणाली में महिलाओं की भागीदारी की नींव रखी। वे देश की पहली महिला जज बनीं और अपने जीवनभर महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्षरत रहीं। उनका जीवन साहस, संकल्प और सामाजिक बदलाव की प्रेरक मिसाल है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

अन्ना चांडी का जन्म मई 1905 में तत्कालीन त्रावणकोर राज्य (अब केरल) में हुआ था। वे एक सीरियन ईसाई परिवार से थीं। समाज की रूढ़ियों और विरोध के बावजूद, उन्होंने 1926 में केरल में कानून की डिग्री प्राप्त की, ऐसा करने वाली वे पहली मलयाली महिला बनीं।

महिलाओं के अधिकारों की वकालत

अन्ना चांडी ने न केवल कानून की पढ़ाई की बल्कि वे महिलाओं के अधिकारों की सशक्त वकालत करने लगीं। 1928 में त्रिवेंद्रम में आयोजित एक सभा में, उन्होंने सरकारी नौकरियों में महिलाओं के आरक्षण की पुरजोर मांग की। जब प्रसिद्ध विद्वान टीके वेल्लु पिल्लई ने महिलाओं की सरकारी नौकरियों में नियुक्ति का विरोध किया, तो अन्ना ने तर्कपूर्ण जवाब देते हुए कहा कि महिलाओं को केवल पुरुषों की सुख-सुविधा के साधन के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

न्यायपालिका में ऐतिहासिक प्रवेश

महिला अधिकारों की पुरजोर समर्थक अन्ना चांडी को त्रावणकोर दरबार के दीवान ने मुंसिफ (जिला स्तर का न्यायिक अधिकारी) के रूप में नियुक्त किया। वे इस पद पर पहुंचने वाली पहली मलयाली महिला बनीं। 1948 में उन्हें जिला जज बनाया गया और 1959 में केरल हाईकोर्ट की पहली महिला जज बनीं। उनके न्यायिक फैसले निष्पक्षता और न्यायप्रियता के लिए जाने जाते थे।

सामाजिक सुधार और संघर्ष

केरल को प्रगतिशील राज्य माना जाता था, फिर भी महिलाओं को बराबरी का दर्जा नहीं मिला था। अन्ना चांडी ने महिलाओं के शरीर पर उनके स्वयं के अधिकार, विवाह में समानता और गर्भनिरोधक उपायों को लेकर मुखर रूप से आवाज उठाई। ऑल इंडिया विमेन्स कॉन्फ्रेंस में उन्होंने महिलाओं के लिए स्वास्थ्य और गर्भनिरोध संबंधी जागरूकता बढ़ाने के लिए क्लीनिक खोलने की मांग की, हालांकि उन्हें ईसाई समुदाय की महिलाओं के विरोध का भी सामना करना पड़ा।

रिटायरमेंट और विरासत

हाईकोर्ट से सेवानिवृत्त होने के बाद, अन्ना चांडी को नेशनल लॉ कमिशन में शामिल किया गया। वे महिलाओं के अधिकारों और न्याय प्रणाली में सुधारों के लिए जीवनभर सक्रिय रहीं। उनकी प्रेरणादायक यात्रा आज भी महिलाओं को न्यायिक और सामाजिक क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।

अन्ना चांडी का जीवन उन सभी के लिए प्रेरणा है जो सामाजिक बदलाव और न्याय की राह पर आगे बढ़ना चाहते हैं।

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