यह लेख स्वतंत्र भारत के पहले फील्ड मार्शल, के.एम. करियप्पा के जीवन और उपलब्धियों को रेखांकित करता है। आइए उनके जीवन की कुछ प्रमुख बातें संक्षेप में समझें:
पहले भारतीय सेना प्रमुख: 15 जनवरी 1949 को करियप्पा भारतीय सेना के पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ बने। इसी दिन की याद में हर साल इंडियन आर्मी डे मनाया जाता है।
किपर नाम का किस्सा: एक ब्रिटिश अधिकारी की पत्नी उनके नाम को ठीक से बोल नहीं पाती थीं, इसलिए उन्होंने करियप्पा को “किपर” कहना शुरू किया। यह नाम उनके लिए लोकप्रिय हो गया।
कश्मीर अभियान में योगदान: 1947 के कश्मीर संकट के दौरान करियप्पा ने भारतीय सेना को पश्चिमी मोर्चे पर महत्वपूर्ण जीत दिलाई, जिससे लेह और कारगिल जैसे क्षेत्र भारत का हिस्सा बने।
अनुशासन के प्रतीक: करियप्पा ने सेना को राजनीति से दूर रखा और अनुशासन को प्राथमिकता दी। उनका मानना था कि सेना को निष्पक्ष और स्वतंत्र रहना चाहिए।
पिता और युद्धबंदी बेटा: 1965 के भारत-पाक युद्ध में उनके बेटे को पाकिस्तान ने बंदी बना लिया। जब पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने उन्हें विशेष रिहाई का प्रस्ताव दिया, तो करियप्पा ने इसे ठुकरा दिया, कहते हुए कि सभी भारतीय बंदी उनके बेटे समान हैं।
फील्ड मार्शल का सम्मान: 15 जनवरी 1986 को करियप्पा को फील्ड मार्शल की उपाधि से सम्मानित किया गया।
के.एम. करियप्पा का जीवन न केवल अनुशासन और देशभक्ति का प्रतीक है, बल्कि भारतीय सेना के इतिहास में उनकी भूमिका अविस्मरणीय है। उनके अद्वितीय योगदान को भारतीय सेना और देश हमेशा सम्मानपूर्वक याद करता रहेगा।
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