धरती के भीतर क्या चल रहा है, यह अब भी वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य बना हुआ है। लेकिन हाल ही में हुए एक शोध में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है—पृथ्वी का अंदरूनी कोर पिछले 20 वर्षों में अपनी शक्ल बदल चुका है!
कैसे बदला धरती के कोर का आकार?
धरती का कोर आमतौर पर एक ठोस गोले की तरह माना जाता है, लेकिन नए अध्ययन के मुताबिक, इसकी सतह कुछ जगहों पर 100 मीटर या उससे ज्यादा विकृत हो गई है। यह बदलाव उस बिंदु पर हुआ है, जहां अंदरूनी ठोस कोर बाहरी तरल कोर से मिलता है।
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न कैलिफोर्निया के प्रोफेसर जॉन विडाले और उनकी टीम ने पाया कि 2010 के आसपास पृथ्वी का अंदरूनी कोर धीमा हो गया था, लेकिन अब इसकी गति फिर से तेज हो रही है।
धरती के चुंबकीय कवच से जुड़ा रहस्य!
धरती का कोर एक धड़कते हुए दिल की तरह काम करता है, जो हमारे ग्रह का चुंबकीय क्षेत्र बनाता है और हमें सूर्य की खतरनाक विकिरणों से बचाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर कोर पूरी तरह ठंडा होकर ठोस बन गया, तो पृथ्वी का चुंबकीय कवच खत्म हो सकता है, जिससे हमारा ग्रह विनाशकारी स्थिति में पहुंच सकता है।
भूकंप की तरंगों से मिला सुराग
धरती के कोर तक सीधा पहुंच पाना असंभव है, लेकिन वैज्ञानिक भूकंप से निकलने वाली तरंगों का विश्लेषण करके इसकी गतिविधियों को समझते हैं। 1991 से 2023 के बीच आए भूकंपों की तरंगों के अध्ययन से पता चला कि कोर का आकार समय के साथ बदल रहा है।
क्या धरती का कोर रुक सकता है?
हाल ही में दावा किया गया था कि पृथ्वी का अंदरूनी कोर घूमना बंद हो सकता है, लेकिन प्रोफेसर विडाले इस तरह की अटकलों से बचने की सलाह देते हैं। हालांकि, यह अध्ययन यह समझने में मदद करता है कि पृथ्वी के अंदर क्या गतिविधियां चल रही हैं और इसका हमारे भविष्य पर क्या असर पड़ सकता है।
निष्कर्ष
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस शोध से पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र और इसके दीर्घकालिक प्रभावों को समझने में मदद मिलेगी। यह खोज हमें यह भी सिखाती है कि हमारी धरती लगातार बदल रही है और इसे समझना मानवता के लिए बेहद जरूरी है।