सोचिए, अगर कोई ऐसा हीरा हो जो प्राकृतिक हीरे से भी ज्यादा मजबूत हो, तो यह विज्ञान की एक अनोखी सफलता होगी! चीन के वैज्ञानिकों ने इस कल्पना को हकीकत में बदल दिया है. उन्होंने एक ऐसा ‘सुपर डायमंड’ विकसित किया है, जो न केवल अत्यधिक सख्त है, बल्कि उच्च तापमान में भी अपनी मजबूती बनाए रखता है.
कैसे बना यह ‘सुपर डायमंड’?
साधारण हीरों का अणु-संरचना क्यूबिक (घन) होती है, लेकिन वैज्ञानिकों ने एक और भी दुर्लभ संरचना विकसित की है, जिसे हेक्सागोनल डायमंड कहा जाता है. यह संरचना आमतौर पर उल्कापिंडों के टकराने से बनती है, लेकिन अब जिलिन यूनिवर्सिटी, चीन के शोधकर्ताओं ने इसे लैब में सफलतापूर्वक तैयार कर लिया है.
प्राकृतिक हीरे से कितना अलग?
- प्राकृतिक हीरे की सख्ती 100 GPa तक होती है, जबकि इस सुपर डायमंड की सख्ती 155 GPa तक मापी गई है.
- यह 1,100°C तक का तापमान सहन कर सकता है, जो इसे उन्नत औद्योगिक उपयोगों के लिए उपयुक्त बनाता है.
- इसकी संरचना इसे न केवल मजबूत बल्कि अधिक टिकाऊ भी बनाती है.
किन क्षेत्रों में होगा उपयोग?
यह कृत्रिम हीरा खनन, निर्माण, ड्रिलिंग, कटिंग टूल्स और चिकित्सा उपकरणों में क्रांति ला सकता है. इसकी बेहतरीन मजबूती और सहनशीलता इसे उद्योगों के लिए एक वरदान बना सकती है.
क्या गहनों में भी हो सकता है इस्तेमाल?
अभी इसका मुख्य उपयोग औद्योगिक कार्यों के लिए ही देखा जा रहा है, लेकिन भविष्य में वैज्ञानिक इसे गहनों में इस्तेमाल करने की संभावना से भी इनकार नहीं कर रहे. अगर ऐसा हुआ तो बाजार में पारंपरिक हीरों की कीमतों पर भी असर पड़ सकता है!
क्या यह हीरा भविष्य को बदल देगा?
चीन के इस ‘सुपर डायमंड’ ने साबित कर दिया है कि विज्ञान की मदद से असंभव को संभव बनाया जा सकता है. यह खोज सिर्फ हीरों तक सीमित नहीं, बल्कि भविष्य में नई और मजबूत सामग्रियों के निर्माण के दरवाजे भी खोल सकती है.
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