नए अध्ययन से यह संकेत मिल रहे हैं कि चंद्रमा जितना निष्क्रिय समझा जाता था, वह उतना निष्क्रिय नहीं है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि चंद्रमा की दूसरी तरफ मौजूद कुछ छोटे पहाड़ों की चोटियां अपेक्षाकृत युवा हैं।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष:
- टेक्टोनिक गतिविधि के प्रमाण:
शोधकर्ताओं ने चंद्रमा के पीछे के हिस्से के 266 उभरे हुए इलाकों का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि ये भूभाग हाल के अरबों वर्षों में सक्रिय रहे हैं और हो सकता है कि अब भी सक्रिय हों। - छोटे भूभागों की आयु:
यह अनुमान लगाया गया कि ये भूभाग लगभग 20 करोड़ साल पहले बने होंगे, जो चंद्रमा के 4.5 अरब साल के इतिहास की तुलना में अपेक्षाकृत हाल ही की घटना है। - क्रेटर काउंटिंग तकनीक:
अध्ययन में यह पाया गया कि जिन इलाकों में अधिक क्रेटर थे, वे पुराने थे, जबकि उभरे हुए इलाकों में अपेक्षाकृत कम क्रेटर थे, जिससे उनकी हाल की उत्पत्ति का संकेत मिलता है। - सक्रियता के प्रमाण:
वैज्ञानिकों ने देखा कि कुछ चोटियां मौजूदा क्रेटरों को भी काटती हुई आगे बढ़ी हैं, जिससे यह निष्कर्ष निकला कि ये इलाक़े पिछले 16 करोड़ सालों में भी टेक्टोनिक रूप से सक्रिय रहे होंगे। - संभावित कारण:
यह संभावना जताई जा रही है कि ये बदलाव चंद्रमा के धीरे-धीरे सिकुड़ने और उसकी कक्षा में होने वाले बदलावों के संयुक्त प्रभाव के कारण हुए होंगे।
निष्कर्ष:
इस अध्ययन ने यह धारणा बदल दी है कि चंद्रमा पूरी तरह निष्क्रिय है। इसके भूगर्भीय गतिविधियों के हालिया संकेत यह दर्शाते हैं कि यह अब भी धीरे-धीरे बदलावों से गुजर रहा है, जिससे इसके निर्माण और आंतरिक संरचना को लेकर नए सवाल खड़े हो गए हैं।