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Wednesday, January 22, 2025

“जानें चंद्रयान 3 के अद्भुत निर्माण की कहानी और भारत की अंतरिक्ष उपलब्धि”

चंद्रयान-3 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित एक मिशन था, जिसका उद्देश्य चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करना और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास वैज्ञानिक अध्ययन करना था। यह मिशन चंद्रयान-2 के बाद था, जिसमें चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग में असफलता रही थी। चंद्रयान-3 में इस बार लैंडर और रोवर की सफलता पर विशेष ध्यान दिया गया था।

प्रमुख जानकारी:

  1. निर्माता:
    • चंद्रयान-3 का निर्माण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा किया गया था। यह ISRO का प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसी है, जो भारत के अंतरिक्ष मिशनों को विकसित और संचालित करता है।
  2. लॉन्च तारीख:
    • चंद्रयान-3 को 14 जुलाई 2023 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी), श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था। इसे GSLV Mk III रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया।
  3. मिशन उद्देश्य:
    • चंद्रयान-3 का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करना और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास वैज्ञानिक अध्ययन करना था।
    • इसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह के तत्वों का विश्लेषण, चंद्रमा की गहरी संरचना, और पानी के अस्तित्व का पता लगाना था।
  4. मूल घटक:
    • चंद्रयान-3 में लैंडर (विक्रम), रोवर (प्रज्ञान), और प्रोपल्शन मॉड्यूल शामिल थे। इसमें कोई ऑर्बिटर नहीं था क्योंकि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पहले से काम कर रहा था और इसका उपयोग चंद्रयान-3 के लिए किया गया था।
  5. सफलता:
    • 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 का लैंडर, विक्रम, सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर उतरा। यह भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था, क्योंकि भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश बनकर इतिहास रचा।
  6. रोवर:
    • लैंडर के अंदर रखा रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग करता है, जैसे चंद्रमा की खनिज संरचना, पानी के संकेतों की जांच, और अन्य भौतिक गुणों का अध्ययन।

मिशन की विशेषताएँ:

  • विक्रम लैंडर: चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए डिज़ाइन किया गया था। इसमें कई विज्ञान उपकरण थे जो चंद्रमा की सतह पर डेटा एकत्रित करते हैं।
  • प्रज्ञान रोवर: यह लैंडर से बाहर निकल कर चंद्रमा की सतह पर घूमता और वैज्ञानिक डेटा एकत्र करता है।
  • ऑर्बिटर: चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर चंद्रयान-3 के साथ काम करता रहा और मिशन को समर्थन प्रदान किया।

चंद्रयान-3 की सफलता ने भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में महत्वपूर्ण उपलब्धि दिलाई और इसे वैश्विक स्तर पर सम्मान प्राप्त हुआ।

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