भारत में निर्धनता (गरीबी) के कारण जटिल और विविध हैं, जिनमें सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक कारण शामिल हैं। यहां कुछ प्रमुख कारणों का विवरण दिया गया है:
1. आर्थिक असमानता
- धन का असमान वितरण: भारत में अमीर और गरीब के बीच की खाई बहुत बड़ी है। बहुत कम लोग अत्यधिक संपत्ति के मालिक हैं, जबकि बहुसंख्यक लोग गरीबी में जीवन यापन करते हैं।
- श्रमिकों की स्थिति: श्रमिकों और किसानों की स्थिति कमजोर है, जिनके पास न तो पर्याप्त संसाधन हैं और न ही उचित अवसर, जिससे उनका जीवन स्तर निचला रहता है।
2. शिक्षा की कमी
- शिक्षा की अपर्याप्तता: कई ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी है, जिससे लोग अच्छे रोजगार के अवसर प्राप्त नहीं कर पाते।
- साक्षरता दर में असमानता: भारत में साक्षरता दर तो बढ़ी है, लेकिन यह अभी भी असमान है, खासकर ग्रामीण और महिला वर्ग में।
3. स्वास्थ्य सेवाओं की कमी
- स्वास्थ्य देखभाल का अभाव: गरीब क्षेत्रों में बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है, जिससे लोग बीमारियों का शिकार होते हैं, और इलाज न होने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो जाती है।
- पोषण की कमी: गरीब परिवारों में पोषण की कमी होती है, जो बच्चों की शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित करती है।
4. मूलभूत सेवाओं की कमी
- अवसंरचना की कमी: कई ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में सड़कों, बिजली, पानी, और संचार की सेवाओं का अभाव है, जिससे लोगों को रोजगार और सामाजिक अवसरों तक पहुंचने में कठिनाई होती है।
- कृषि संकट: भारत के अधिकांश गरीब लोग कृषि पर निर्भर हैं, लेकिन कृषि संकट (सूखा, बाढ़, भूमि की गुणवत्ता की कमी) से उनकी स्थिति और खराब होती है।
5. राजनीतिक और प्रशासनिक विफलता
- भ्रष्टाचार: सरकारी योजनाओं का सही तरीके से कार्यान्वयन नहीं हो पाता और भ्रष्टाचार का प्रभाव गरीबों तक योजनाओं का लाभ नहीं पहुंचने देता।
- नीति का अभाव: गरीबी उन्मूलन के लिए उचित और प्रभावी नीतियों का अभाव भी गरीबी को बढ़ावा देता है।
6. जनसंख्या वृद्धि
- बढ़ती हुई जनसंख्या: भारत में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है। यह बढ़ती हुई जनसंख्या रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य संसाधनों की कमी को और बढ़ा देती है।
7. संस्कृतिक और सामाजिक कारण
- जातिवाद और लैंगिक असमानता: भारत में जातिवाद और लैंगिक असमानता की जड़ें गहरी हैं। इसके कारण कुछ समुदायों को आर्थिक और सामाजिक रूप से भेदभाव का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी गरीबी और बढ़ती है।
- पारंपरिक भूमिकाएँ: महिलाएं अक्सर घरेलू कार्यों और बच्चों की देखभाल तक सीमित रहती हैं, जिसके कारण वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं हो पातीं।
8. अंतरराष्ट्रीय व्यापार और वैश्विक प्रभाव
- वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धा: भारत की अर्थव्यवस्था के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार की स्थिति भी निर्धनता के कारण बन सकती है, क्योंकि कुछ क्षेत्रों में आय में वृद्धि नहीं हो पाती और भारत में कम कीमतों पर विदेशी सामान आते हैं, जो स्थानीय उद्योगों को प्रभावित करते हैं।
इन कारणों के संयोजन से निर्धनता की समस्या विकट रूप में बनी रहती है, हालांकि सरकार और विभिन्न संगठनों द्वारा इस पर काबू पाने के लिए योजनाएँ बनाई जा रही हैं, फिर भी चुनौती बनी हुई है।