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Tuesday, July 15, 2025
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जानिए भगत सिंह की वीरता की कहानी जो प्रेरणा से भर दे

भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारियों में से एक थे, जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष किया और अपने बलिदान से भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को नई दिशा दी। उनका जीवन संघर्ष, साहस और देशभक्ति का प्रतीक बना। उनके विचार और कार्य आज भी युवाओं को प्रेरित करते हैं।

भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर, 1907 को लायलपुर ज़िले (जो अब पाकिस्तान में है) के बंगा गाँव में हुआ था। उनका परिवार भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन से गहरे रूप से जुड़ा था, और यही कारण था कि बचपन से ही भगत सिंह में देशभक्ति की भावना विकसित हुई। उनके परिवार के सदस्य, विशेष रूप से उनके चाचा सरदार अजित सिंह और उनके मित्र सैयद हैदर रजा, क्रांतिकारी आंदोलनों में शामिल थे, जो भगत सिंह के विचारों को आकार देने में मददगार बने।

भगत सिंह ने महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से प्रभावित होकर, बहुत ही कम उम्र में ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अपनी लड़ाई शुरू कर दी थी। जलियांवाला बाग हत्याकांड ने उनके अंदर स्वतंत्रता के प्रति आक्रोश और गहरी संवेदना को जन्म दिया। उन्होंने चंद्रशेखर आज़ाद के साथ मिलकर क्रांतिकारी संगठन तैयार किया और भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त करने के लिए कई योजनाओं में हिस्सा लिया।

उनकी सबसे प्रमुख क्रांतिकारी गतिविधि 1929 में केंद्रीय विधानसभा में बम फेंकने की थी, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विरोध व्यक्त करना था। हालांकि यह घटना उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ थी, लेकिन भगत सिंह और उनके साथियों ने इसे अहिंसक तरीके से किया था, क्योंकि उनका उद्देश्य केवल ब्रिटिश शासन का विरोध करना था, न कि किसी को नुकसान पहुँचाना।

लाहौर षड्यंत्र मामले में, भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को फांसी की सजा दी गई। तीनों ने 23 मार्च, 1931 को हंसते-हँसते अपने प्राणों की आहुति दे दी और देश के लिए अपना बलिदान दिया। उनकी शहादत ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में नई ऊर्जा का संचार किया और उन्हें एक अमर क्रांतिकारी बना दिया।

भगत सिंह की शहादत, उनके विचार और उनके द्वारा किए गए बलिदान आज भी भारतीयों के दिलों में जीवित हैं और वे हमारे राष्ट्र के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।

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