मुगल बादशाह औरंगजेब की निर्दयता और सत्ता की भूख के किस्से इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं। सत्ता की चाह में उसने अपने ही पिता शाहजहां को जेल में डाला, अपने सगे भाई का सिर कलम करवा कर पिता के सामने भिजवा दिया और छत्रपति संभाजी महाराज को क्रूरतम यातनाएं दीं। हाल ही में रिलीज हुई फिल्म छावा ने इन घटनाओं को एक बार फिर से ताजा कर दिया है।
सत्ता के लिए पिता को कैद, भाई का सिर काटा
शाहजहां अपने बेटे दारा शिकोह को सबसे ज्यादा चाहते थे और उन्हें ही अगला मुगल बादशाह बनाना चाहते थे। लेकिन औरंगजेब को यह मंजूर नहीं था। उसने सत्ता हासिल करने के लिए अपने भाइयों के खिलाफ साजिश रची। पहले दारा शिकोह को जंग में हराकर उसकी हत्या करवाई और फिर उसका सिर कटवाकर जेल में बंद पिता के पास भिजवा दिया। इसके बाद उसने अपने बाकी भाइयों को भी किनारे कर दिया और खुद गद्दी पर बैठ गया।
संभाजी महाराज को दिलाई दर्दनाक मौत
मराठा साम्राज्य और मुगलों की दुश्मनी शिवाजी महाराज के दौर से चली आ रही थी। शिवाजी के बेटे संभाजी महाराज से औरंगजेब को कड़ी चुनौती मिल रही थी। जंग में हारता देख औरंगजेब ने धोखे का सहारा लिया। मराठा सरदार गनोजी शिर्के और कान्होजी आंग्रे की गद्दारी से संभाजी महाराज को बंदी बना लिया गया।
इसके बाद 1 फरवरी 1689 को उन्हें महाराष्ट्र के तुलापुर किले में कैद किया गया। औरंगजेब ने उन्हें इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर किया, लेकिन जब संभाजी ने मना कर दिया तो उनकी आंखें निकाल दी गईं, जुबान काट दी गई और कई दिनों तक यातनाएं दी गईं। अंत में, 11 मार्च 1689 को उनका सिर धड़ से अलग कर दिया गया।
गुरु तेग बहादुर की शहादत
सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर को भी औरंगजेब ने इस्लाम कबूल करने के लिए प्रताड़ित किया। लेकिन गुरुजी अडिग रहे और कहा, “सीस कटा सकते हैं, लेकिन केश नहीं।” इस पर औरंगजेब ने उन्हें मौत के घाट उतार दिया। उनकी शहादत की याद में दिल्ली में गुरुद्वारा शीश गंज साहिब और रकाब गंज साहिब आज भी खड़े हैं।
क्रूरता की हदें पार कर दीं!
औरंगजेब के शासनकाल को इतिहास में सबसे क्रूर काल माना जाता है। सत्ता के लिए अपने ही परिवार का खून बहाने वाला यह शासक, धर्मांधता और निर्दयता का प्रतीक बन गया।