वजन घटाने के लिए लोग जिम में घंटों पसीना बहाते हैं, डाइटिंग करते हैं और कई घरेलू नुस्खे अपनाते हैं, लेकिन फिर भी मनचाहा रिजल्ट नहीं मिलता। अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं, तो अब चिंता की कोई बात नहीं। आजकल एक नया और कारगर तरीका तेजी से पॉपुलर हो रहा है – इंटरमिटेंट फास्टिंग।
बॉलीवुड से लेकर आम लोगों तक, तेजी से वजन कम करने के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग को अपनाया जा रहा है। लेकिन यह क्या है और इसे कैसे किया जाता है? लोकल 18 ने इस बारे में दिल्ली के मैक्स स्मार्ट सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की डाइटिशियन डॉ. कल्पना गुप्ता से खास बातचीत की।
क्या है इंटरमिटेंट फास्टिंग?
डॉ. कल्पना गुप्ता बताती हैं कि इंटरमिटेंट फास्टिंग कोई डाइट प्लान नहीं, बल्कि एक खाने का पैटर्न है। इसमें यह तय किया जाता है कि खाना कब खाना है, न कि क्या खाना है। इसे कई तरीकों से किया जा सकता है:
- 16/8 मेथड: 16 घंटे फास्टिंग और 8 घंटे के भीतर खाना।
- 5:2 डाइट: हफ्ते में 5 दिन सामान्य खाना और 2 दिन कम कैलोरी वाला भोजन।
- 24 घंटे फास्ट: हफ्ते में एक या दो बार 24 घंटे का उपवास।
इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे
डॉ. कल्पना के अनुसार, इंटरमिटेंट फास्टिंग के कई फायदे हैं:
✅ तेजी से वजन घटता है – शरीर जमा फैट को एनर्जी में बदलने लगता है।
✅ कोलेस्ट्रॉल कम करता है – दिल की बीमारियों से बचाव में मदद करता है।
✅ मेटाबॉलिज्म बेहतर करता है – पाचन तंत्र मजबूत होता है।
✅ स्ट्रेस और सूजन को कम करता है – मानसिक स्वास्थ्य को भी फायदा होता है।
सावधानी बरतना जरूरी!
इंटरमिटेंट फास्टिंग जितनी फायदेमंद है, गलत तरीके से करने पर यह नुकसान भी पहुंचा सकती है। डॉ. कल्पना सलाह देती हैं कि –
⚠ डायबिटीज, किडनी या लीवर की बीमारी वाले लोग बिना डॉक्टर की सलाह के इसे न करें।
⚠ गलत तरीके से करने पर कमजोरी, चक्कर और पाचन संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं।
⚠ हमेशा किसी हेल्थ प्रोफेशनल से सलाह लेकर सही डाइट प्लान बनाएं।