स्वामी शिवानंद जी का जन्म 8 सितंबर 1887 को तमिलनाडू के एक पत्तमड़ै गांव में हुआ
था। माता-पिता ने उनका नाम कुप्पुस्वामी स्वामी रखा था। वे विलक्षण बुद्धि वाले
बच्चे थे। बचपन से ही पढ़ाई व खेल दोनों में हमेशा आगे रहते थे। आगे डॉक्टरी की पढ़ाई
करने जब वे गये तब पहले ही साल में उनको इतना ज्ञान हो गया था, जितना बड़े-बड़े
डॉक्टर नही जानते थे। बेहतरीन डॉक्टर बनने के बाद वे मलाया (बर्मा) गये। जहां
उन्हें जादुई चिकित्सक व गरीबों का मसीहा माना जाने लगा।
बचपन से आधात्मिक एवं गरीबों की सेवा में रूची थी। आगे चलकर उन्होंने
आध्यात्मिक गुरूओं की किताबों का गहन अध्ययन किया और पहले कांशी और अंतत: ऋषिकेश
आकर स्वामी जी ने बेहद कठोर साधना व तपस्या की। वे एक मिनट भी गवना उचित नही समस्ते
थे। अतएव सप्ताह में एक बार भोजन भिक्षा प्राप्त कर तपस्या में लीन हो जाते थे।
ईश्वर के प्रति अनंत श्रद्धा रखते हुए कठोर तपस्या की और प्रभुज्ञान प्राप्त किया।
स्वामी जी ने एकदम सरल शब्दों में लगभग 300 किताबें लिखी। योग को उन्होंने
अभूतपूर्व ऊंचाई पर पहुंचाया। वे दिमाग, दिल और शरीर के लिए ज्ञान, भक्ति और कर्म
योग का संतुलित प्रशिक्षण देते थे। उन्होंने त्याग व नि:स्वार्थ भाव से हजारों
लोगों को ज्ञान, योग और साधना करना सिखाया। उनके एक-एक शिष्य को वे बहुत बारिकी से
प्रशिक्षण देते। पूरे विश्व में उनके शिष्यों ने ज्ञान, ध्यान व योग को स्थापित
किया। सही मायने में इस विधा के वे विश्व गुरू थे।
स्वामी जी के विश्वस्तरीय शिष्य
1. स्वामी चिन्मयानंद- चिन्मय मिशन के संस्थापक
2. स्वामी ज्योतिर्मायानंद- योग रिसर्च फाऊंडेशन अमेरिका के अध्यक्ष
3. स्वामी सत्यानंद सरस्वती- योग इंटरनेशनल विद्यालय मूंगैली, राजनांदगांव के
संस्थापक
4. स्वामी संतानंद- ललित कलाओं का संस्थापक मलेशिया एवं सिंगापुर
5. स्वामी शिवानंद राधा- यशोधरा आश्रम के संस्थापक (कनाडा)
6. स्वामी वेंकेटेश्वरानंद- डिवाईन लाईफ सोसाइटी साऊथ आफ्रिका और मोरिसर्स,
आस्ट्रेलिया
7. स्वामी प्रणवानंद – मलेशिया आश्रम