सावन के इस पवित्र महीने में सभी लोग शिव को पूजते हैं। कांवड़ियों , देखते ही बनता है। यही कारण है कि हर शिव मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखी जाती है. लेकिन आज जिस मंदिर की हम बात करेंगे, उसकी मान्यता सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे। 400 साल से भी अधिक प्राचीन यह मंदिर शानदार वास्तु है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं। आज तक, इस धार्मिक स्थान से कोई श्रद्धालु खाली हाथ नहीं गया है। पुराने लोगों के मन में आज भी इस प्राचीन मंदिर के कई चमत्कार हैं।
जैसा कि शास्त्रों में वर्णित है वैसा इस शिव मंदिर का पंचायतन है. नैऋत्य कोण पर गणेश भगवान, वायव्य कोण पर माता पार्वती, दक्षिणावर्त हनुमान जी की मूर्ति, वामावर्त में भगवान कार्तिकेय, आग्नेय कोण में सूर्य भगवान, ईशान कोण में मां लक्ष्मी सहित भगवान विष्णु और बीच में साक्षात भगवान भोलेनाथ बसहा बैल के साथ विराजमान हैं.
यहां मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, पटना समेत तमाम जगहों से भक्त आते हैं. कोई संतान को लेकर,कोई नौकरी, तो कोई सुख शांति की कामना लेकर आता है, लेकिन इस भोले की नगरी से आज तक कोई खाली हाथ नहीं लौटा है. वहीं मनोकामना पूरी होने पर मंदिर में घंटा स्थापित करते हैं.