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Sunday, December 8, 2024

श्वेतार्क : शुभता, समृद्धि और वास्तु दोषों के समाधान का पौधा

सफेद मदार का पौधा, जिसे श्वेतार्क या सफेद आक भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखता है। इसे शुभता, समृद्धि, और शांति का प्रतीक माना जाता है। यह पौधा वास्तु दोषों को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बनाए रखने में सहायक है। इस लेख में हम जानेंगे कि श्वेतार्क का पौधा कहां लगाना चाहिए, इसके लाभ क्या हैं, और किस दिशा में इसे लगाने से बचना चाहिए

श्वेतार्क का धार्मिक महत्व

श्वेतार्क का पौधा भगवान शिव और भगवान गणेश दोनों का प्रिय है। मान्यता है कि इस पौधे में गणेशजी का वास होता है।

  • पूजा में उपयोग: श्वेतार्क के पत्तों को भगवान गणेश को अर्पित करने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
  • शुभता का प्रतीक: इस पौधे की जड़ से बनाई गई गणेश प्रतिमा की पूजा विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है।
  • नकारात्मक ऊर्जा से बचाव: इसे घर में लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और वास्तु दोष दूर होते हैं।

श्वेतार्क का पौधा कहां लगाएं?

वास्तु शास्त्र के अनुसार, श्वेतार्क का पौधा घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में लगाना सबसे शुभ माना गया है।

  • कारण: यह दिशा सूर्य देव और पितृ देवताओं से जुड़ी है, और श्वेतार्क का पौधा दोनों को प्रिय है।
  • लाभ:
    • घर में शांति और समृद्धि आती है।
    • नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम होता है।
    • ग्रहों की स्थिति को संतुलित करने में सहायक।

किस दिशा में न लगाएं श्वेतार्क का पौधा?

उत्तर-पूर्व दिशा:

  • यह दिशा देवताओं और ज्ञान से जुड़ी होती है।
  • उत्तर-पूर्व में श्वेतार्क का पौधा लगाने से वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है।

पूर्व और पश्चिम दिशा:

  • इन दिशाओं में श्वेतार्क लगाने से सूर्य और पितृ देवताओं से जुड़ी ऊर्जा कमजोर हो सकती है।

श्वेतार्क के पौधे के लाभ

  1. वास्तु दोषों का समाधान:
    • यह पौधा घर में धन-समृद्धि लाने और दरिद्रता को दूर करने में सहायक है।
  2. शांति और सकारात्मकता:
    • घर में सुख-शांति का वातावरण बनाए रखता है।
  3. ग्रहों की स्थिति सुधार:
    • कुंडली में दोषों को संतुलित करने में मदद करता है।
  4. धार्मिक प्रभाव:
    • पूजा में उपयोग करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

आयुर्वेद में श्वेतार्क का महत्व

श्वेतार्क, जिसे आयुर्वेद में मदार (आक) के नाम से जाना जाता है, औषधीय गुणों से भरपूर है।

  • उपयोग:
    • त्वचा रोग, कान दर्द, और अस्थमा के इलाज में सहायक।
    • इसके फूलों से बना चूर्ण फेफड़ों की समस्याओं में राहत प्रदान करता है।
  • सावधानी:
    • यह पौधा विषैला होता है, इसलिए इसका उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं करना चाहिए।

निष्कर्ष

श्वेतार्क का पौधा न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि वास्तु और आयुर्वेद के अनुसार भी महत्वपूर्ण है। इसे सही दिशा में लगाने से घर में सुख-समृद्धि आती है और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम होता है। यह पौधा प्रकृति का वरदान है, जो धार्मिक और स्वास्थ्य दोनों रूपों में उपयोगी है।

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