हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के बाद प्रसाद ग्रहण करना शुभ माना जाता है, क्योंकि इससे देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग पर चढ़ाए गए प्रसाद को ग्रहण नहीं किया जाता? इसके पीछे एक पौराणिक और आध्यात्मिक कारण छिपा है। आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों कहा जाता है।
पौराणिक कथा से जुड़ा रहस्य
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव के एक प्रमुख गण हैं चंदेश्वर, जो भूत-प्रेतों के प्रधान भी माने जाते हैं। मान्यता है कि शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद इन्हीं को समर्पित होता है, जिसके कारण इसमें नकारात्मक ऊर्जा आ सकती है। यही कारण है कि शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को ग्रहण करने से बचना चाहिए।
किन शिवलिंगों के प्रसाद को ग्रहण किया जा सकता है?
अगर शिवलिंग पत्थर, मिट्टी या चीनी मिट्टी से बना हो, तो उस पर चढ़ाए गए प्रसाद को ग्रहण नहीं करना चाहिए। लेकिन चांदी, पीतल और तांबे के शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद ग्रहण किया जा सकता है, क्योंकि इन धातुओं को शुभ और शुद्ध माना जाता है।
मूर्ति पर चढ़े प्रसाद का महत्व
भगवान शिव की मूर्ति पर चढ़ाया गया प्रसाद ग्रहण करना शुभ होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसे खाने से पापों का नाश होता है और व्यक्ति को शिव कृपा प्राप्त होती है।
निष्कर्ष
अगर आप शिवलिंग पर पूजा करते हैं, तो ध्यान रखें कि केवल मूर्ति या धातु के शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को ही ग्रहण करें। इससे न केवल धार्मिक नियमों का पालन होगा बल्कि शुभ फल भी प्राप्त होंगे।