शनिदेव की आरती के सही नियम और विधि
शनिदेव को न्याय का देवता और कर्मफल का दाता माना जाता है। उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए शनिवार के दिन पूजा और आरती का विशेष महत्व है। शनिदेव की आरती करते समय कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना चाहिए, ताकि पूजा सफल और प्रभावी हो। आइए जानते हैं शनिदेव की आरती के सही तरीके:
1. आरती के लिए थाल की तैयारी
- आरती का थाल विशेष रूप से सजाना चाहिए।
- थाल में कपूर या घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें।
- अगर मंदिर में आरती कर रहे हैं, तो पंचमुखी दीपक का उपयोग करें।
2. आरती करने का तरीका
- आरती करते समय “ऊँ” की आकृति बनाते हुए थाल को घुमाएं।
- थाल को शनिदेव के श्री चरणों में 4 बार, नाभि की ओर 2 बार, मुख पर 1 बार, और पूरे शरीर पर 7 बार घुमाना चाहिए।
- आरती के दौरान भक्ति भाव से शनिदेव के गुणों का बखान करते हुए आरती गाएं।
3. आरती के बाद का नियम
- आरती के दौरान और इसके बाद सिर को ढंक कर रखना चाहिए।
- आरती लेने के बाद दीपक की ज्योति को दोनों हाथों से नेत्रों और मस्तक के मध्य भाग पर लगाएं।
- आरती के बाद कम से कम 5 मिनट तक जल का स्पर्श न करें।
4. दक्षिणा या अक्षत का उपयोग
- आरती के थाल में दक्षिणा या अक्षत अवश्य अर्पित करें।
- ऐसा माना जाता है कि इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
विशेष मान्यता
शनिदेव की आरती और भजन करने से उनके भक्तों पर उनकी कृपा बनी रहती है। शनिदेव के आशीर्वाद से भक्तों के कष्ट दूर होते हैं और उन्हें सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
शनिवार के दिन विशेष रूप से इस नियम का पालन करें और शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त करें।