आमतौर पर कुडली में कई तरह के योग बनते हैं. लेकिन कुंडली में एक ऐसा योग भी होता है, जो होता तो योग हैं, लेकिन इनमें प्रभाव दोष का होता है. ऐसा ही एक योग है कालसर्प योग, जिसे सामान्यत: कालसर्प दोष भी कहते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह एक ऐसा योग है, जो आपको कभी संतुष्ट ही नहीं होने देता. यानि लगातार और ज्यादा और ज्यादा की ओर आकर्षित करता जाता है. यानि अति की स्थिति में आकर नुकसान का कारण बनना शुरू हो जाता है. माना जाता है कि जो भी व्यक्ति इससे प्रभावित है, उसे जीवन में कई प्रकार की परेशानियों तथा उलझनों का सामना करना पड़ता है. कालसर्प दोष का प्रभाव नौकरी, विवाह, संतान, सम्मान, पैसा और भी कई समस्याओं से संबंधित हो सकता हैं. ऐसे में हर कोई जिस पर भी इस योग का प्रभाव होता है वह इससे छुटकारा पाना चाहता है.
आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जिसके संबंध में मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से ही यह दोष दूर हो जाता है. यूं तो कालसर्प दोष निवारण के लिए नासिक का त्रयंबकेश्वर मंदिर सबसे अधिक फेमस है, लेकिन उत्तराखंड में भी एक ऐसा मंदिर मौजूद है जिसके संबंध में मान्यता है कि सावन या नागपंचमी के दिन इस मंदिर में दर्शन और पूजा करने से बिना किसी ज्योतिषीय उपाय के भी कालसर्प दोष दूर हो जाता है. आइए जानते हैं कहां है ये मंदिर और क्या है इसकी मान्यता. …
उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश एक पावन तीर्थ स्थल है. यहां कई सारे प्राचीन मंदिर व घाट स्थित है. यऋषिकेश के हर मंदिर का अपना महत्व और रोचक इतिहास है. जिनमें से एक प्राचीन गरुण मंदिर भी है. जोकि ऋषिकेश से 10 किलोमीटर दूर गरुणचट्टी पर स्थित है. यह मंदिर ऋषिकेश का ही नहीं पूरे उत्तराखंड का एकमात्र गरुण देव का मंदिर है. साथ ही इस मंदिर में कालसर्प दोष का पूजन भी किया जाता है.