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पांडेश्वर महादेव मंदिर , इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है 

भारत में कई प्रसिद्ध और प्राचीन शिव मंदिर हैं, हर एक में कई रहस्य छुपे हुए हैं। वहीं सावन का महीना चल रहा है, जो शिव के अनुयायियों के लिए बहुत विशिष्ट है। सावन में भगवान शिव की कृपा पाने के लिए लोग शिव मंदिर जाते हैं। यही कारण है कि इस महीने आप राजस्थान में पांडेश्वर महादेव मंदिर जा सकते हैं। इस मंदिर का संबंध महाभारत काल से है। यही कारण है कि आज इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे पांडवों ने इस मंदिर का निर्माण किया और शिव परिवार को यहाँ स्थापित किया।

मंदिर से जुड़ी रोचक बातें

पांडेश्वर महादेव मंदिर पुष्कर की नाग पहाड़ियों पर स्थित है। बता दें कि इस मंदिर में भगवान शंकर की लिंग रूप में पूजा-अर्चना की जाती है। पौराणिक कथा के मुताबिक पांडवों द्वारा इस मंदिर की स्थापना की गई थी।

कहा जाता है कि जो भी भक्त इस मंदिर में दर्शन के लिए आता है, उसकी इच्छा जरूर पूरी होती है। इस मंदिर में सिर्फ शिवलिंग ही नहीं बल्कि पूरा शिव परिवार विराजमान है।

महाभारत कथा के अनुसार, जब पांडव वनवास के दिनों को भोग रहे थे, तब उन्होंने नाग पहाड़ी स्थित पंचकुंड में निवास किया था। इसी स्थान पर उन्होंने भगवान शंकर की घोर तपस्या की थी।

बताया जाता है कि जब पांडवों ने भगवान शिव को तपस्या कर प्रसन्न किया, तो भगवान शिव ने पांडवों को दर्शन दिए। लेकिन इस दौरान पांडव भूल कर बैठे।

दरअसल, जब भगवान शिव ने पांडवों को दर्शन दिया और उनसे वरदान मांगने के लिए कहा, तो पांडव शांत हो गए। क्योंकि पांडवों को समझ ही नहीं आया कि वह क्या मांगे। यह देखकर भगवना शिव अंर्तध्यान हो गए।

जिसका पांडवों को काफी ज्यादा अफसोस हुआ कि वह काफी कुछ मांग सकते थे, लेकिन वह सब कुछ मांग नहीं पाए। इसके बाद पांडवों ने मन ही मन भगवान शिव से अपना राजपाट वापस पाने की प्रार्थना की।

पांडवों की प्रार्थना भगवान शिव ने सुन ली और महाभारत युद्ध के बाद पांडवों को उनका राजपाट मिल गया। माना जाता है कि इस मंदिर में खोया हुआ चीज मांगने पर वापस मिल जाता है।

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