कैलेंडर व पंचांग दोनो ही दिन जानने के तथ्यपूरक साधन है . जंहां कैलेंडर अंग्रेजी विधि मानी जाती है वहीं पंचांग हिंदु विधि .
पंचांग
वैसे तो इस शब्द के हिंदी अथवा संस्कृत में कई पर्यायवाची हैं, परन्तु यहां जिस संदर्भ में बात की जा रही है वह दिनांक से संबंधित है। सरल शब्दों में कहा जाये तो पंचांग एक प्राचीन हिंदू कैलेंडर है.
जैसा कि नाम से स्पष्ट है पंच+ अंग। अर्थात पांच अंगो वाला। पंचांग ज्योतिष शास्त्र का एक मुख्य औजार है।
इसके पांच अंग होते हैं:
1. वार
2. तिथि
3. नक्षत्र
4. करण
5. योग
पंचांग हिन्दू धर्म के कार्यों के साथ साथ दैनिक कार्यों में सदियों से प्रयोग किया जाता रहा है। यह सूर्य और चन्द्र की परिक्रमा, गति, स्थान आदि पर निर्भर करता है।
पंचांग में १२ महीने होते है। परन्तु हर महीने में लगभग १५-१५ दिन के २ पक्ष(कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष) होते हैं।अर्थात 30 दिन का महीना होता है परंतु दिनों की संख्या १-२ दिन कम ज़्यादा हो सकती है। क्यूंकि चन्द्र और सूर्य की गति पृथ्वी के अनुपात में एक समान नहीं होती।
यह केवल दिनांक/तारीख नहीं बताता, अपितु एस्ट्रोलॉजी और एस्ट्रोनॉमी के बहुत से सिद्धांतो को सिद्ध और रचना भी करता है।
यह पूर्णतया गणित, वैज्ञानिक आधार, सूत्र और शोध के अनुसार ही बनाया जाता है। कौन सा ग्रहण, उदय, ग्रह आदि कब हुआ और आगे कब होगा यह वर्षों पहले और आगे आप पंचांग से पता कर सकते है। अधिकांश लोग इसको अपने शुभ अशुभ समय के लिए भी प्रयोग करते हैं। हालांकि यह मानना या ना मानना किसी भी व्यक्ति की इच्छा और निजी विचार पर निर्भर करता है। यहां इस चर्चा नहीं करते।
कैलेंडर
कैलेंडर की अगर बात करें तो इसको कुछ हद तक विदेशी पंचांग कह सकते हैं, परन्तु इसके पांच अंग नहीं होते। इसका असली नाम ग्रिगेरियन कैलेंडर होता है। इसका उद्गम रोमन साम्राज्य के समय में बताया जाता है।
अंग्रेजो के भारत पर शासन के दौरान राजनीतिक, व्यापारिक और शासकीय कार्यों के लिए उन्होंने कैलेंडर का प्रयोग भारत में शुरू कराया। क्यूंकि इसकी तारीख लगभग एक समान रहती हैं तो जन सामान्य के प्रयोग और बैंकिंग प्रणाली के लिए सरल है। इस कैलेंडर में 12 माह होते हैं जिसमें से फरवरी में 28 व 7 माह में 31 दिन और 4 माह में 30 दिन होते हैं . हर चार साल बाद फरवरी 29 दिन का होता है जिसे लीप इयर कहते हैं . हालांकि इसका उद्भव भारतीय पंचांग के बहुत वर्षों बाद ही हुआ ।अंग्रेजो के भारत आने के बाद के कैलेंडर से कोई खगोलीय जानकारी नहीं मिलती, इसलिए आज भी पंचांग का प्रयोग किया जाता है।
आप कैलेंडर से अपने प्रिय हिंदू त्योहार का कभी पता नहीं कर सकते, इसके लिए तो आपको पंचांग की शरण में ही जाना होगा। एक लाभ और है कि आप कैलेंडर खुद बना सकते हैं और पंचांग केवल एक सुपर एक्सपर्ट।
कैलेंडर और पंचांग में कई अंतर हैं :
• कैलेंडर समय मापने का एक तरीका है, जबकि पंचांग आंकड़ों का एक समूह है.
• कैलेंडर से खगोलीय जानकारी नहीं मिलती, जबकि पंचांग से ग्रहण, उदय, ग्रह आदि से जुड़ी जानकारी मिलती है.
• कैलेंडर को कुछ हद तक विदेशी पंचांग कहा जा सकता है, जबकि पंचांग एक प्राचीन हिंदू कैलेंडर है.
• कैलेंडर को खुद बनाया जा सकता है, जबकि पंचांग एक विशेषज्ञ द्वारा बनाया जाता है.
• अंग्रेज़ी कैलेंडर सूर्य वर्ष पर आधारित है, जबकि हिंदू पंचांग चंद्र वर्ष पर आधारित है.
• अंग्रेज़ी कैलेंडर में हर चार साल में फ़रवरी में 29 दिन होते हैं, जबकि हिंदू पंचांग में साल में बचे 11 दिनों को एडजस्ट करने के लिए अधिक मास होता है.
• पंचांग में 12 महीने होते हैं और हर महीने में 15 दिन के दो पक्ष होते हैं.
• पंचांग में समय गणना के लिए पांच अंग होते हैं – वार, तिथि, नक्षत्र, योग, और करण