नवरात्रि के 9 दिन देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, और हर दिन देवी को अलग-अलग भोग अर्पित किया जाता है। यह भोग न केवल श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक होता है, बल्कि देवी को प्रसन्न करने का एक विशेष तरीका भी है। यहाँ नवरात्रि के नौ दिनों के लिए भोग की पूरी सूची दी जा रही है :
1. प्रथम दिन – शैलपुत्री माता
भोग: देशी घी
देवी शैलपुत्री को शुद्ध देशी घी का भोग अर्पित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे व्यक्ति का स्वास्थ्य बेहतर होता है और रोगों से मुक्ति मिलती है।
2. द्वितीय दिन – ब्रह्मचारिणी माता
भोग: शक्कर (चीनी) या मिश्री
ब्रह्मचारिणी माता को मिश्री, शक्कर या गुड़ का भोग अर्पित किया जाता है। इससे भक्तों की आयु और तपस्या में वृद्धि होती है।
3. तृतीय दिन – चंद्रघंटा माता
भोग: दूध और मिठाई (खीर, रसगुल्ला)
देवी चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाइयों या खीर का भोग अर्पित किया जाता है। इससे मानसिक शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
4. चतुर्थ दिन – कूष्माण्डा माता
भोग: मालपुआ
कूष्माण्डा माता को मालपुआ का भोग चढ़ाया जाता है। इससे बुद्धि का विकास होता है और व्यक्ति के परिवार में सुख-शांति का वास होता है।
5. पंचम दिन – स्कंदमाता
भोग: केले
स्कंदमाता को केले का भोग चढ़ाया जाता है। इससे संतान सुख की प्राप्ति होती है और संतान की लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है।
6. षष्ठम दिन – कात्यायनी माता
भोग: शहद (मधु)
कात्यायनी माता को शहद का भोग अर्पित किया जाता है। इससे व्यक्ति के व्यक्तित्व में आकर्षण बढ़ता है और वैवाहिक जीवन में सुख आता है।
7. सप्तम दिन – कालरात्रि माता
भोग: गुड़
कालरात्रि माता को गुड़ का भोग चढ़ाया जाता है। इससे दुश्मनों पर विजय प्राप्त होती है और संकटों से मुक्ति मिलती है।
8. अष्टम दिन – महागौरी माता
भोग: नारियल
महागौरी माता को नारियल का भोग अर्पित किया जाता है। इससे जीवन में शांति, समृद्धि, और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।
9. नवम दिन – सिद्धिदात्री माता
भोग: तिल या तिल से बनी मिठाई
सिद्धिदात्री माता को तिल का भोग अर्पित किया जाता है। यह भोग स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है और सभी इच्छाओं की पूर्ति करता है।
अन्य महत्वपूर्ण बातें :
- सभी भोग शुद्ध और ताजे होने चाहिए।
- भोग अर्पण के बाद इसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
- नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा को सादा भोजन और फल भी अर्पित किया जाता है।
यह भोग न केवल देवी को प्रसन्न करता है, बल्कि भक्तों के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि भी लाता है।