किस हाथ में मौली बांधें: क्या हैं मान्यता, विधि और धार्मिक महत्व
मौली का धार्मिक महत्व
मौली, जिसे “कलावा” या “रक्षासूत्र” भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक पवित्र धागा है। इसे हाथ में बांधने का प्रचलन विशेष रूप से पूजा-पाठ, हवन और धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान होता है। मौली को बांधना शुभता और रक्षा का प्रतीक माना जाता है।
कौन से हाथ में बांधें मौली?
- पुरुषों के लिए:
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, पुरुष मौली को दाएं हाथ में बांधते हैं। - महिलाओं के लिए:
महिलाओं के लिए मौली बाएं हाथ में बांधी जाती है।
यह भेद धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के आधार पर है, जहां दायां हाथ पुरुषों के लिए शुभ और बायां हाथ महिलाओं के लिए पवित्र माना गया है।
मौली बांधने की विधि
- शुद्धिकरण:
मौली बांधने से पहले अपने हाथों को स्वच्छ कर लें। - पवित्रता का ध्यान:
मौली बांधने के समय भगवान का स्मरण करें और मंत्र का जाप करें। - मंत्र:
मौली बांधते समय निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण किया जा सकता है:
ॐ येन बद्धो बलिराजाह दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वामभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥
- गांठ बांधें:
मौली को हाथ में बांधते समय तीन या पांच गांठें लगाई जाती हैं। यह संख्या शुभ मानी जाती है।
मौली बांधने के लाभ और धार्मिक मान्यताएँ
- रक्षा का प्रतीक:
मौली बांधने से नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से रक्षा होती है। - आध्यात्मिक संबंध:
यह व्यक्ति को ईश्वर और उसकी कृपा के प्रति जोड़ता है। - शुभता:
मौली को शुभ कार्यों की शुरुआत में बांधने से सफलता और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। - आरोग्य और सुख-शांति:
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौली का धागा व्यक्ति को स्वास्थ्य, धन और सुख प्रदान करता है।
विशेष अवसरों पर मौली बांधना
- पूजा, हवन, और यज्ञ के समय।
- रक्षा बंधन पर भाई-बहन के संबंध की प्रतीक।
- किसी नए कार्य की शुरुआत या यात्रा के समय।
- व्रत, त्योहार, और विशेष धार्मिक अनुष्ठानों में।
निष्कर्ष
मौली बांधना केवल धार्मिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम है। यह व्यक्ति को सकारात्मकता, सुरक्षा, और ईश्वर की कृपा से जोड़ता है। सही विधि और विश्वास के साथ मौली बांधने से इसका प्रभाव अधिक शुभ होता है।